जी-20 शिखर सम्मेलन में आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन और वैश्विक व्यापार पर चर्चा होनी है। साथ ही कई आैर महत्वपूर्ण बातें हैँ जो जी-20 को और अहम बनाती है।
क्या है जी-20?
आपको बता दें कि उन्नीस देशों और यूरोपीय संघ के संगठन को ग्रुप ऑफ 20 यानी जी-20 कहा जाता है। अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मैक्सिको, रूस, सउदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, ब्रिटेन और अमेरिका इस समूह के सदस्य हैं।
जी-20 समिट की थीम
इस बार के जी-20 सम्मेलन की थीम 'शेपिंग एन इंटर-कनेक्टेड वर्ल्ड' रखी गई है। सम्मेलन में मुक्त और खुला व्यापार, पलायन, सतत विकास और वैश्विक स्थिरता पर चर्चा होने की संभावना है।
कौन-कौन होगा शामिल
जी-20 सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों सहित अन्य देशों के शीर्ष नेताओं के हिस्सा लेने की संभावना है।
जी-20 का विरोध
एक तरफ जहां जी-20 सम्मेलन को लेकर लोगों में उत्साह है, वहीं हैम्बर्ग में हो रहे इस सम्मेलन का विरोध भी किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि सम्मेलन से पहले कम-से-कम 30 प्रदर्शन हो सकते हैं। जिसमें पूंजीवाद विरोधी समूहों के सदस्यों सहित हजारों लोगों के हिस्सा लेने की संभावना है।
पीएम मोदी का एजेंडा
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि अगले दो दिनों में दुनिया को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर जी-20 देशों के नेताओं के साथ बात होगी। उन्होंने कहा कि पिछले साल हांगझू में हुई जी-20 समिट में उठाए गए मुद्दों पर प्रगति की समीक्षा हो सकती है। इनमें आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन, सतत विकास, विकास और व्यापार, डिजिटलाइजेशन, स्वास्थ्य, रोजगार, पलायन, महिला सशक्तिकरण और अफ्रीका के साथ भागीदारी पर चर्चा होने की उम्मीद है।