उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय से दोनों देशों के बीच संबंध स्थायी रहे हैं, यह दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को एक नई दिशा देने के लिए आवश्यक हैा प्रणब मुखर्जी ने कहा कि पिछले कुछ समय से दोनों देशों की आर्थिक जरुरते भी एक समान हुई हैा नतीजन दोनों देश कारोबार की दुनिया में और नजदीक आए हैा मुखर्जी ग्वांझू में इंडिया चीन बिजनेस फोरम के समारोह को संबाेधित कर रहे थेा इस फोरम को भारत के व्यापारिक संगठन सीआईआई का समर्थन हासिल हैा राष्ट्रपति के साथ सीआईआई का एक प्रतिनिधिमंडल भी चीन गया हुआ हैा राष्ट्रपति मुखर्जी ने कहा कि पूरी दुनिया में आज बाजार आधारित संबंधों को तरजीह दी जा रही हैा इसी पैटर्न पर भारत और चीन को आगे बढ़ना चाहिएा उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच हालांकि अभी बाजार संतुलन चीन की तरफ अधिक हैा जिसे हम अपना बाजार बढ़ाकर एक समान करने की कोशिश करेंगेा राष्ट्रपति ने कहा कि भारत अपने उत्पादों के लिए चीन को हमेशा से एक बड़ा बाजार मानता आया हैा
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने चीन के दौरे के दूसरे दिन मंगवार को चीन की कम्युनिस्ट दल के एक वरिष्ठ अधिकारी से भी मुलाकात की और इनकी चर्चा में आर्थिक नीतियां विशेष तौर पर भारत में विदेशी निवेश आकर्षित करने का विषय चर्चा के केंद्र में रहा। गुआंगदांग प्रांत के सचिव हू चुन्हुआ ने राष्ट्रपति के सम्मान में भोज दिया। दोनों नेताओं ने चीन में संघ, प्रांत संबंधों और भारत में केंद्र,राज्य संबंधों के साथ दोनों देशों के एेतिहासिक सांस्कृतिक संबंधों के बारे में चर्चा की। कम्युनिस्ट दल के अधिकारी ने भारत की आर्थिक नीतियों में काफी रूचि दिखाई विशेष तौर पर विदेशी निवेश से संबंधित। विदेश सचिव एस जयशंकर ने कहा कि राष्ट्रपति ने उन्हें :चीनी नेता को: विदेश निवेश के संदर्भ में मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया जैसी पहल के बारे में बताया।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इससे पहले विदेश मंत्री के तौर पर गुआंगदांग की राजधानी ग्वांझू की यात्रा को याद किया जब भारतीय महावाणिज्य दूतावास का उद्घाटन किया गया था। राष्ट्रपति को बताया गया कि विदेशी आबादी के संदर्भ में जापान और कोरिया के बाद भारतीयों की सबसे अधिक संख्या है और उनकी भूमिका की काफी सराहना होती है। इससे पहले दिन में राष्ट्रपति हुआलिन मंदिर गए और बोधिधर्म से अपने करीबी संबंधों को साझा किया। चीनी पक्ष ने राष्ट्रपति के मंदिर जाने की सराहना की।