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दक्षेस यात्रा से सौहार्द का संदेश

चार मार्च को जयंशकर अफगानिस्तान की यात्रा करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी की 12 मार्च को शुरू होने वाली मॉरीशस, मालदीव और श्रीलंका की यात्रा में भी जयशंकर उनके साथ होंगे। मार्च महीने में ही वह पुन: नेपाल, श्रीलंका और माल्दीव जाऐंगे। सार्क देशों की अपनी यात्रा के दौरान विदेश सचिव उन मुद्दों पर प्रगति का भी जायजा लेंगे जो प्रधानमंत्री मोदी ने सार्क सक्वमेलन में काठमांडू में उठाए थे। इस सक्वमेलन में ही सार्क सेटेलाइट और क्षेत्रीय विश्वविद्यालय की बात चली थी। वैसे तो विदेश सचिव की सार्क देशों की प्रस्तावित यात्रा को प्रधानमंत्री मोदी की सोची-समझी रणनीति का एक हिस्सा माना जा रहा है।
दक्षेस यात्रा से सौहार्द का संदेश

डॉ. किरण सिंह वर्मा दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (दक्षेस)देशों की यात्रा पर निकले विदेश सचिव सुब्रहमण्यम जयशंकर भारत की तरफ से एक नए राजनीतिक परिदृश्य में नए कूटनीतिक समीकरण का आगाज करने जा रहे हैं। इस यात्रा का सबसे बड़ा मकसद पाकिस्तान के साथ चल रहे गर्मागर्मी वाले माहौल में सौहार्द की शीतल बयार का अहसास कराना है।जयशंकर एक मार्च को थिंपू और दो मार्च को ढाका होते हुए तीन मार्च को इस्लामाबाद को प्रस्थान गए। भारत और पाकिस्तान के बीच पिछले वर्ष रद्द की गई विदेश सचिव स्तरीय वार्ता भी शुरू करने की कवायद की।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्रिकेट डिप्लोमेसी का सहारा लेते हुए 4 सार्क देशों के नेताओं से बात की और उन्होंने क्रिकेट वर्ल्ड कप के लिए उन देशों की टीमों को अपनी शुभकामनाएं दी। इसी सिलसिले में मोदी ने पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से भी बात की और एलान किया कि भारत के विदेश सचिव जयशंकर पाकिस्तान की यात्रा पर जा रहे हैं। जयशंकर को सार्क देशों की यात्रा पर भेजने का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फैसला उनकी उसी कड़ी को आगे बढ़ा रहा है जिसकी शुरुआत उन्होंने 26 मई 2014 को शपथग्रहण समारोह में की थी। इस समारोह में उन्होंने सार्क देशों के नेताओं को भी आमंत्रित किया था। नवंबर 2014 में काठमांडू में आयोजित सार्क देशों के सक्वमेलन में शामिल होकर मोदी ने अपने बुलंद इरादे को पुष्ट कर दिया कि वह अपने पड़ोसी देशों के साथ रिश्ते सुधारने के लिए दृढ़संकल्प हैं।

विदेश सचिव की पाकिस्तान यात्रा कई माइनों में महत्वपूर्ण है। अगस्त 2014 में भारत ने विदेश-सचिव स्तर की वार्ता को इस बिला पर स्थगित कर कर दिया था कि वार्ता शुरू होने से ठीक पहले भारत में पाकिस्तान के राजदूत अद्ब्रदुल बासित ने कश्मीरी अलगाववादी संगठनों से बातचीत की पहल की थी। सचिव स्तर की इस वार्तालाप में भारत इस तैयारी के साथ उपलद्ब्रध होगा कि वह भारत और पाकिस्तान के  दि्पक्षीय मामलों पर बहस को तैयार है जिसमें जम्मू और कश्मीर का विवादित मामला भी शामिल है। विदेश सचिव जयशंकर के लिए मुख्य चुनौती भारत-पाक सीमा पर अमन बहाल करना होगा, वहीं द्विपक्षीय वार्ता को आगे बढ़ाना भी उनकी प्राथमिकता होगी। इसके अलावा वह मुंबई हमलों के दोषी लश्कर-ए- तैयबा के जकीउर रहमान लखवी की जमानत याचिका से संबंधित मामलों की सुनवाई और मुंबई आतंकी हमले के सूत्रधारों को दी जानेवाली सजा पर भी बातचीत करेंगे।

चार मार्च को जयंशकर अफगानिस्तान की यात्रा करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी की 12 मार्च को शुरू होने वाली  मॉरीशस,  मालदीव और श्रीलंका की यात्रा में भी जयशंकर उनके साथ होंगे। मार्च महीने में ही वह पुन: नेपाल, श्रीलंका और माल्दीव जाऐंगे। सार्क देशों की अपनी यात्रा के दौरान विदेश सचिव उन मुद्दों पर प्रगति का भी जायजा लेंगे जो प्रधानमंत्री मोदी ने सार्क सक्वमेलन में काठमांडू में उठाए थे। इस सक्वमेलन में ही सार्क सेटेलाइट और क्षेत्रीय विश्वविद्यालय की बात चली थी। वैसे तो विदेश सचिव की सार्क देशों की प्रस्तावित यात्रा को प्रधानमंत्री मोदी की सोची-समझी रणनीति का एक हिस्सा माना जा रहा है। विदेश मामलों के जानकारों का तो यहां तक मानना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की सलाह पर ही अमल करते हुए मोदी इस पहल की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। समझा जाता है कि दक्षिण एशियाई देशों में शांति बहाल के लिए ओबामा ने भारत और पाकिस्तान को अपने पड़ोसी देशों से रिश्ते सुधारने की सलाह दी थी। हालांकि भारत की इस पहल को पाकिस्तान कितनी संजीदगी से लेता है, यह आने वाले वक्त में पाकिस्तान के रुख और सीमा पर चलने वाली गतिविधियों से स्पष्ट हो जाएगा। इस संदर्भ में पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल रहील शरीफ की इस चेतावनी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि नियंत्रण रेखा पर भारत की ओर से घुसपैठ को करारा जवाब दिया जाएगा।

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