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बांग्लादेश में वरिष्ठ संपादक के उत्पीड़न पर एडीटर्स गिल्ड ने जताई चिंता

बांग्लादेश के डेली स्टार समाचार पत्र के संपादक और वरिष्ठ पत्रकार महफूज अनम पर देशद्रोह और मानहानि के कई मामले दर्ज कर उनका उत्पीड़न किए जाने पर एडीटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने गहरी चिंता जताई है और इसे प्रेस की आजादी पर हमला बताते हुए इसकी कड़े शब्दों में निंदा की है।
बांग्लादेश में वरिष्ठ संपादक के उत्पीड़न पर एडीटर्स गिल्ड ने जताई चिंता

बांग्लादेश में डेली स्टार अखबार के संपादक और भारत के कई अखबारों के लिए आलेख लिखने वाले वरिष्ठ पत्रकार महफूज अनम पर देशद्रोह और मानहानि के कई केस दर्ज किए गए हैं। अनम पर 62 केस मानहानि और 17 मामले देशद्रोह के दर्ज हुए हैं। ज्यादातर केस सत्ताधारी अवामी लीग के समर्थकों ने दर्ज कराए हैं। अगर इन मामलों में 62 वर्षीय अनम पर आरोप साबित हो जाते हैं तो उन्हें लगभग 175 साल की सजा होगी। दिल्ली में एडीटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने वरिष्ठ पत्रकार के विरुद्ध इस तरह से केस दर्ज किए जाने पर चिंता जताते हुए इसकी कड़ी निंदा की है। एडीटर्स गिल्ड ने अनम के खिलाफ सत्ताधारी पार्टी के समर्थकों द्वारा केस दर्ज किए जाने को उन्हें प्रताड़ित करना और बांग्लादेश में प्रेस की आजादी पर हमला करार दिया है। 

 

दरअसल प्रताड़ना का यह सिलसिला पिछले दिनों अनम द्वारा एक टीवी चैनल के पत्रकार के पूछे गए सवाल का जवाब देने के बाद शुरू हुआ। हाल ही में डेली स्टार के 25 साल पूरे होने के जश्न के मौके पर अनम ने एक टीवी पत्रकार के एक सवाल के जवाब में कहा कि वर्तमान प्रधानमंत्री शेख हसीना पर 2007 में जब वह सत्ता से बाहर थीं मिलीट्री इंटेलिजेंस के लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों की खबर प्रकाशित करने का उन्हें अफसोस है। इस बातचीत के प्रसारित होने के फौरन बाद ही अनम को सोशल मीडिया पर आलोचनाओं के बवंडर का सामना करना पड़ा था। इसमें खुद वर्तमान प्रधानमंत्री के बेटे ने फेसबुक पर लिखा था कि वह महफूज अनम को जेल की सलाखों के पीछे देखना चाहते हैं। हाल ही में एक जनसभा में प्रधानमंत्री हसीना ने भी अनम के इस्तीफे की मांग करते हुए कहा, संपादकों के ऊपर भी उसी तरह मुकदमा चलेगा जिस तरह हम युद्ध अपराधियों पर मुकदमा चला रहे हैं। सारे मामले पर महफूज अनम का कहना है कि अपने ऊपर दर्ज हुए मुकदमों से वह अचंभित हैं, 2007 में जब वह खबर छपी थी तो वह राष्ट्रीय खबर थी और सभी अखबारों ने इसे छापा था। उन्होंने बताया कि आज भी बांग्लादेश में सैन्य अधिकारियों द्वारा उपलब्ध कराई गई खबरों को एकतरफा छापने के लिए पत्रकार दबाव में रहते हैं। इन खबरों में पुलिस और सेना के साथ झड़प में मरने वाले नागरिकों की संख्याएं भी रहती हैं। 

 

भारत में संपादकों की संस्था एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने शुक्रवार को एक बैठक के बाद बयान जारी कर कहा कि अपने एक सम्मानित साथी के ऊपर दबाव के इस तरीके की कड़े शब्दों में वह भर्त्सना करता है और आग्रह करता है कि बांग्लादेश सरकार उनको प्रताड़ित और प्रभावित करने की मुहिम बंद करे। एडिटर्स गिल्ड दिल्ली में बांग्लादेश के उच्चायुक्त साथ-साथ ढाका स्थित भारतीय उच्चायुक्त के समक्ष अपनी चिताएं दर्ज कराएगा और इस मामले के न्यायसंगत पटाक्षेप के लिए प्रयास का आग्रह करेगा।

 

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