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सार्क सम्मेलन में पाकिस्तान पर बरसे एस जयशंकर, आतंकवाद को लेकर साधा निशाना

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा कि दक्षिण एशिया में फलदायी सहयोग के लिए...
सार्क सम्मेलन में पाकिस्तान पर बरसे एस जयशंकर, आतंकवाद को लेकर साधा निशाना

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा कि दक्षिण एशिया में फलदायी सहयोग के लिए सभी प्रकार के आतंकवाद को खत्म करना ''पूर्व शर्त" है। उन्होंने कहा कि दक्षेस की प्रासंगिकता आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कदम से ही तय होगी।

संयुक्त राष्ट्र महासभा से अलग दक्षेस के मंत्रियों की परिषद की अनौपचारिक बैठक में जयशंकर ने कहा, 'हमारी केवल गंवा दिए मौकों की ही नहीं, बल्कि जानबूझकर पैदा बाधाओं की कहानी है। आतंकवाद भी उन्हीं में से एक है’। उन्होंने बैठक में कहा कि फलदायी सहयोग ही नहीं, बल्कि हमारे क्षेत्र के अस्तित्व के लिए भी हर प्रकार के आतंकवाद का खात्मा पूर्व शर्त है।

विदेश मंत्रियों की परिषद की बैठक में जयशंकर के उद्घाटन संबोधन का किया बहिष्कार

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त करने के भारत के फैसले के विरोध में दक्षेस के विदेश मंत्रियों की परिषद की बैठक में जयशंकर के उद्घाटन संबोधन का बहिष्कार किया था। भारत का रुख है कि जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाने का फैसला उसका 'आतंरिक मामला’ है।

जयशंकर ने काठमांडो में दक्षेस नेताओं के बयान को दोहराया

जयशंकर ने 2014 में काठमांडो में दक्षेस नेताओं के बयान को दोहराया जिसमें उन्होंने 'आतंकवाद के जड़ से खात्मे के लिए राष्ट्रीय स्तर पर आवश्यक कानून को लागू करने समेत 'आतंकवाद के दमन पर दक्षेस क्षेत्रीय संधि को 'पूर्ण एवं प्रभावशाली’ तरीके से लागू करने की अपील की। मंत्री ने कहा, 'दक्षेस की प्रासंगिकता आतंकवाद के खिलाफ इन कदमों से ही तय होगी और इन्हीं से और उत्पादक बनने की भविष्य की हमारी सामूहिक यात्रा का फैसला होगा’। उन्होंने कहा कि क्षेत्रवाद की जड़ें दुनिया के हर कोने में हैं, यदि दक्षिण एशियाई क्षेत्र पीछे रह जाता है तो ऐसा इसलिए है क्योंकि इस क्षेत्र में वह सामान्य व्यापार और संपर्क नहीं है जो अन्य क्षेत्रों में है।

दक्षेस क्षेत्रीय वायु सेवा समझौते का भी किया जिक्र

जयशंकर ने कहा, 'यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमने मोटर वाहन एवं रेलवे समझौतों जैसी संपर्क की कुछ पहलों के संदर्भ में कोई प्रगति नहीं की है। इसी प्रकार दक्षेस क्षेत्रीय वायु सेवा समझौते में भी कोई प्रगति नहीं हुई है। इस समझौते की पहल भारत ने की थी’।

विदेश मंत्री ने बैठक में कहा कि दक्षिण एशियाई उपग्रह का उदाहरण यह बताता है कि भारत अपने पड़ोसियों को समृद्ध बनाने वाली पहलों पर किस प्रकार काम कर रहा है। उन्होंने दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय का भी उदाहरण दिया, जहां भारत पीढ़ियों को प्रभावित करने वाली अकादमिक उत्कृष्टता के निर्माण के लिए अति सक्रिय है। जयशंकर ने बताया कि गुजरात में स्थापित दक्षेस आपदा प्रबंधन केंद्र (एसडीएमसी-अंतरिम ईकाई) ने पिछले दो साल में 350 से अधिक उम्मीदवारों को प्रशिक्षण दिया।

 

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