इथियोपिया में वेतन नहीं मिलने से नाराज स्थानीय कर्मचारियों द्वारा आईएलएंडएफएस ग्रुप के जॉइंट वेंचर के बंधक बनाए गए दो भारतीयों को शनिवार को रिहा कर दिया गया। जबकि पांच भारतीय अभी भी उनके कब्जे में हैं। रिहा किए गए कर्माचारियों का नाम हरीश बांदी और भास्कर रेड्डी है। कंपनी द्वारा अगले कुछ दिनों में स्थानीय कर्मचारियों को बकाया वेतन का भुगतान किए जाने का आश्वासन देने के बाद इन दोनों कर्मियों को रिहा किया गया। यह कंपनी इथियोपिया में एक सड़क का निर्माण कर रही है।
बता दें कि वेतन नहीं मिलने से नाराज स्थानीय कर्मचारियों ने 25 नवंबर को कंपनी के सात भारतीय कर्मचारियों को उनके घरों में ही घेर लिया है जिस कारण उनके घर से निकलने पर लगभग रोक लग गई।
बंधक बनाए गए एक व्यक्ति चैतन्य हरी ने 28 तारीख को सोशल मीडिया के जरिए भारतीय विदेश मंत्रालय से संपर्क साधा और अपनी समस्या बताई थी।
उन्होंने लिखा, "तुरंत मदद चाहिए, आईएलएफ़एस के हम सात कर्मचारियों को स्थानीय कर्मचारियों ने बंधक बना कर रखा है। कंपनी की ग़लतियों की कीमत हम अपनी जान दे कर नहीं चुका सकते।"
बंधक बनाए गए दो और कर्मचारियो ने भी 28 नवंबर को भारतीय विदेश मंत्रालय से मदद की गुहार लगाई थी।
कंपनी ब्याज चुकाने में नाकाम
ये मामला भारतीय कंपनी इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज (आईएलएफएस) ट्रांसपोर्टेशन नेटवर्क इंडिया लिमिटेड (आईटीएनएल) और स्पेन की कंपनी एल्सामेक्स एसए के साझा उपक्रम आईटीएलएल-एल्सामेक्स से जुड़ा है।
संकटग्रस्त आईएलऐंडएफएस समूह की इकाई आईएलएंडएफएस ट्रांसपोर्टेशन पिछले दिनों दो गैर-परिवर्तनीय डिबेंचरों (एनसीडी) पर 2.28 करोड़ रुपये का ब्याज भुगतान करने में नाकाम रहा है। शेयर बाजारों को भेजी सूचना में कंपनी ने कहा कि दोनों एनसीडी पर ब्याज भुगतान 26 नवंबर को किया जाना था। दोनों बांड 25 अगस्त को जारी किए गए थे।
इससे पहले 22 नवंबर को एनसीडी पर 7.24 करोड़ रुपये का ब्याज भुगतान नहीं हो पाया था। यह भुगतान 21 नवंबर को किया जाना था। वहीं उससे पहले दो नवंबर को भी कंपनी एनसीडी पर 2.29 करोड़ रुपये का ब्याज भुगतान नहीं कर पाई। वहीं एक नवंबर को होने वाले एनसीडी के ब्याज का भुगतान करने में भी कंपनी असफल रही। अक्टूबर में समूह पर कुल 94,215.6 करोड़ रुपये का कर्ज था।
तीन महीने से नहीं मिली थी तनख्वाह
इस नई कंपनी ने इथियोपियाई सरकार के साथ 2016 में देश में 160 किलोमीटर की सड़क बनाने का करार किया था। इस सड़क के जरिए ओरोमिया के नेकेम्टी और अमहारा के बूरे शहरों को जोड़ने की योजना थी।
सड़क निर्माण के काम के लिए कंपनी इथियोपियाई सड़क प्राधिकरण के साथ मिल कर अप्रैल 2016 से काम कर रही थी।
भारतीय कंपनी के लोगों को बंधक बनाने वाले भी इसी कंपनी के लिए काम करते थे और तीन महीने से तनख्वाह नहीं मिलने के कारण नाराज़ थे।
बताया जा रहा है कि इन स्थानीय लोगों को सिक्योरिटी सर्विस के लिए नौकरी पर रखा गया था।