संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी जगह पाने की भारत की उम्मीदों को बल मिला है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सुरक्षा परिषद के विस्तार और सुधारों के लिए बातचीत का दस्तावेज स्वीकार कर लिया है। इसे भारत के लिए खुशखबरी माना जा रहा है। इससे आज से शुरू हो रहे संयुक्त राष्ट्र के 70वें सत्र में दस्तावेज पर बातचीत का रास्ता तैयार हो गया है। पिछले दो दशक में यह पहला मौका है जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधारों के मुद्दे पर इस तरह की सहमति बनी है। अभी तक सुरक्षा परिषद में सुधार के मुद्दे पर सदस्य देशों के बीच सिर्फ मौखिक चर्चा होती थी लेकिन अब लिखित में इस मुद्दे पर सभी देश अपना पक्ष रखेंगे। यह प्रक्रिया अगले एक साल चलेगी और उसके बाद ही निर्णय होगी कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को पक्की सीट मिलती है या नहीं।
भारत ने दस्तावेज स्वीकार किए जाने को एेतिहासिक और युगांतकारी करार दिया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष सैम कुटेसा ने सुरक्षा परिषद में समतामूलक प्रतिनिधित्व और सदस्यता बढ़ाने के सवाल और संबंधित मामलों पर कार्रवाई के लिए पूर्ण अधिवेशन बुलाया था। बैठक के दौरान उन्होंने रूस, अमेरिका और चीन सहित प्रमुख देशों की स्थिति पेश करते हुए पत्र भी वितरित किया जिसने विचार दस्तावेज में योगदान करने से इंकार किया है। महासभा के 70वें सत्र में लिखित सुझााव आधारित वार्ता जारी रखने पर मत विभाजन नहीं हुआ और इसे सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया।
इस दस्तावेज में सुरक्षा परिषद में सुधारों के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों की स्थिति पेश की गई है। फिलहाल स्थायी और अस्थायी श्रेणियों में 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद का किस तरह विस्तार किया जाए। यह मसौदा स्वीकार किया जाना सुरक्षा परिषद में लंबित सुधार प्रक्रिया पर वार्ता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अंतर सरकारी वार्ता प्रक्रिया के क्रम में सात साल में पहली बार पाठ तैयार हुआ है। अभी तक बिना किसी पाठ के वार्ता होती रही है।
भारत ने सुरक्षा परिषद से जुड़े सुधारों के लिए लिखित सुझाव आधारित वार्ता पर सहमति के संयुक्त राष्ट्र महासभा के फैसले को महत्वपूर्ण घटनाक्रम बताया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, यह एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है क्योंकि दो दशक बाद हम लिखित सुझावाें पर आधारित वार्ता करने जा रहे हैं। गौरतलब है कि चीन सुरक्षा परिषद के विस्तार का विरोध करता रहा है। फिलहाल सुरक्षा परिषद में 15 देश हैं, जिनमें से स्थायी सदस्यता सिर्फ अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस को हासिल है।