चक्रवाती तूफान ‘फैनी’ जितना भयानक और शक्तिशाली था उससे होने वाली मौतों की संख्या बढ़ सकती थी लेकिन भारत की जीरो कैजुअल्टी पॉलिसी व यहां के मौसम विभाग की सटीक प्रारंभिक चेतावनी ने इसे बढ़ने नहीं दिया। भारत की तरफ से दी गई चेतावनी को लेकर संयुक्त राष्ट्र में भारत की प्रशंसा की जा रही है।
यूएन ऑफिस के डिजआस्टर रिस्क रिडक्शन (ODRR) के अनुसार, चक्रवाती तूफान ‘फैनी’ से होने वाली मौतों को कम करने में भारत सरकार की जीरो कैजुअल्टी पॉलिसी और भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) की प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली की सटीकता से बड़ी मदद मिली।
भारत की जीरो कैजुअल्टी पॉलिसी व मौसम विभाग ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
वहीं, डिजआस्टर रिस्क रिडक्शन के प्रवक्ता डेनिस मैक्कलीन ने जेनेवा में कहा, ‘संभावित मौतों की संख्या को कम करने में भारत सरकार की जीरो कैजुअल्टी पॉलिसी व देश के मौसम विभाग ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।‘ उन्होंने आगे कहा कि मौसम विभाग द्वारा दी गई प्रारंभिक चेतावनी की सटीकता की मदद से लक्षित स्थान को खाली कराने की योजना मददगार साबित हुई।
‘आईएमडी ने ‘फैनी’ को ‘अत्यंत भयंकर चक्रवाती तूफान’ कैटेगरी में रखा’
न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, पिछले 20 सालों में भारत से टकराने वाला यह शक्तिशाली तूफान शुक्रवार सुबह ओडिशा से टकराया। इसके कारण 8 लोगों की मौत हो गई। समुद्र किनारे बसा शहर पुरी का बड़ा हिस्सा व अन्य क्षेत्र जलमग्न हो गए। भारतीय मौसम विभाग ने फैनी को ‘अत्यंत भयंकर चक्रवाती तूफान’ कैटेगरी में रखा है। फैनी को काफी करीब से मॉनिटर करने वाली यूएन एजेंसियां बांग्लादेश के रिफ्यूजी कैंप में रह रहे परिवारों की सुरक्षा के लिए कदम उठा रही है जो तूफान के कारण अलर्ट पर हैं।
तूफान से मोजांबिक में हजारों बच्चोंं की जिंदगियों को क्षति पहुंचाई
वहीं, यूएन की चिल्ड्रन एजेंसी ने कहा कि चक्रवाती तूफान फिलहाल भारत को प्रभावित कर रहा है वहीं मार्च व अप्रैल माह में लगातार तूफान से मोजांबिक में हजारों बच्चों की जिंदगियों को क्षति पहुंचाई। उन्होंने कहा, ‘लैंडस्लाइड और डूबने के साथ-साथ घातक बीमारियां जैसे मलेरिया, हैजा, कुपोषण आदि का खतरा सबसे अधिक बच्चों में हुआ है।‘
फैनी के आने से पहले ही यूएन की मानवीय एजेंसियों ने की थी मीटिंग
न्यूयॉर्क में अपनी ब्रीफिंग में यूएन के महासचिव एंटोनियो गुतेरस के प्रवक्ता स्टेफनी दुजारिक ने बताया कि तूफान फैनी के आने से पहले ही यूएन की मानवीय एजेंसियों ने तैयारी के लिए मीटिंग की। इससब में सबसे दुख की बात यह है कि इन प्राकृतिक आपदाओं की चपेट में ऐसे लोग आते हैं जिनका जलवायु परिवर्तन में काफी कम योगदान है। उन्होंने आगे कहा कि विनाशकारी बाढ़ के बाद मोजांबिक में फैले हैजे को रोकने के लिए यूएन एजेंसी प्रयासरत है।