लगभग एक सर्वसम्मत फैसले में महासभा ने बुधवार को इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। भारत और 190 अन्य देशों ने प्रस्ताव के समर्थन में मतदान किया, वहीं करीब 25 वर्षों से इसका विरोध कर रहे अमेरिका ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया। उसके साथ इस्राइल भी मतदान की प्रक्रिया में शामिल नहीं हुआ। क्यूबा पर प्रतिबंध से जुड़ी एक बैठक में संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत सामंता पावर ने कहा, करीब 50 वर्ष से भी अधिक समय से अमेरिका की क्यूबा सरकार को अलग-थलग करने की नीति रही है। उन्होंने कहा, करीब इसकी आधी अवधि तक संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों ने अमेरिकी प्रतिबंध की निंदा करने वाले और इसको खत्म करने की मांग करने वाले महासभा के प्रस्ताव का जोरदार समर्थन किया। अमेरिका ने हमेशा से इस प्रस्ताव के विरोध में मतदान किया। आज अमेरिका मतदान के दौरान उपस्थित नहीं रहेगा।
सामंता ने कहा कि क्यूबा को अलग-थलग करने की अमेरिका की नीति कारगर नहीं है और क्यूबा को अलग-थलग करने के बजाय हमारी नीति ने अमेरिका को ही अलग-थलग कर दिया है। साथ ही यहां संयुक्त राष्ट्र में भी। उन्होंने कहा कि प्रस्ताव पर मतदान में हिस्सा नहीं लेने का अभिप्राय यह नहीं है कि अमेरिका की सरकार क्यूबा की सभी नीतियों और कामकाज से सहमत है। महासभा के 193 में से 191 सदस्यों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जिसमें दोनों देशों के संबंधों में हुई प्रगति और इस वर्ष मार्च में अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के क्यूबा दौरे का स्वागत किया गया है।