देश की राजधानी नई दिल्ली में संशोधित नागरिकता अधिनियम को लेकर जारी हिंसा पर अमेरिकी सांसदों और मुख्यधारा की मीडिया ने तीखी प्रतिक्रियाएं व्यक्त की। अमेरिकी सांसदों ने कहा कि भारत में हो रही हिंसा को दुनिया देख रही है।
पिछले कुछ दिनों में कम से कम 17 लोगों की जान लेने वाली हिंसा पर प्रतिक्रिया देते हुए अमेरिकी कांग्रेस की प्रमिला जयपाल ने कहा, "भारत में धार्मिक असहिष्णुता का घातक उछाल भयानक है। लोकतंत्र को विभाजन और भेदभाव को बर्दाश्त नहीं करना चाहिए या धार्मिक स्वतंत्रता को कमजोर करने वाले कानूनों को बढ़ावा नहीं देना चाहिए।" उन्होंने एक ट्वीट में कहा, "दुनिया देख रही है।" गौरतलब है कि प्रमिला जयपाल ने पिछले साल जम्मू-कश्मीर में संचार पर प्रतिबंधों को समाप्त करने और सभी निवासियों के लिए धार्मिक स्वतंत्रता को संरक्षित करने के लिए भारत से आग्रह करने वाला एक प्रस्ताव पेश किया था।
सांसद एलन लोवेन्टल ने भी हिंसा को "नैतिक नेतृत्व की दुखद विफलता" की संज्ञा दी। उन्होंने कहा, "हमें भारत में मानवाधिकारों के लिए खतरों के सामने बोलना चाहिए।"
‘धार्मिक स्वतंत्रता पर बोलना जरूरी’
डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार और सीनेटर एलिजाबेथ वारेन ने भी ज़ोर देते हुए कहा, "भारत जैसे लोकतांत्रिक सहयोगियों के साथ संबंधों को मजबूत करना महत्वपूर्ण है। लेकिन हमें धार्मिक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सहित हमारे मूल्यों के बारे में सच बोलने में सक्षम होना चाहिए और शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसा कभी स्वीकार्य नहीं है।”
भारत में मुस्लिम विरोधी हिंसा का ज्वार
सासंद रशीदा तालिब ने ट्वीट किया, "इस हफ्ते ट्रम्प ने भारत का दौरा किया लेकिन वास्तविक कहानी दिल्ली में मुसलमानों को लक्षित करने वाली सांप्रदायिक हिंसा होनी चाहिए। हम चुप नहीं रह सकते क्योंकि मुस्लिम विरोधी हिंसा का यह ज्वार पूरे भारत में जारी है।"
अमेरिकी मीडिया ने क्या कहा?
दिल्ली में हुई हिंसा को मुख्य धारा की मीडिया में प्रमुखता से दिखाया गया। वाशिंगटन पोस्ट ने बताया, "दंगेE एक विवादास्पद नागरिकता कानून और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के समर्थकों और विरोधियों के बीच बढ़ते विवादों का नतीजा है।" न्यूयॉर्क टाइम्स ने कहा, "जैसा कि राष्ट्रपति ट्रम्प ने भारत की राजधानी का दौरा किया, उस दौरान कम से कम 11 लोग सांप्रदायिक झड़पों में मारे गए।"
एक ट्वीट में, अमेरिका के अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग ने कहा कि यह "नई दिल्ली में मुसलमानों को निशाना बनाने वाली घातक भीड़ हिंसा" की रिपोर्टों से चिंतित है। इसने मोदी सरकार से भीड़ पर लगाम लगाने और धार्मिक अल्पसंख्यकों की रक्षा करने का आग्रह किया।