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अमेरिकी कांग्रेस सदस्यों ने कश्मीर पर चिंता जताई तो प्रशासन ने कहा- रिश्तों पर असर नहीं होगा

भारतीय-अमेरिकी कांग्रेस सदस्य प्रमिला जयपाल सहित प्रभावशाली अमेरिकी जनप्रतिनिधियों ने जम्मू...
अमेरिकी कांग्रेस सदस्यों ने कश्मीर पर चिंता जताई तो प्रशासन ने कहा- रिश्तों पर असर नहीं होगा

भारतीय-अमेरिकी कांग्रेस सदस्य प्रमिला जयपाल सहित प्रभावशाली अमेरिकी जनप्रतिनिधियों ने जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा हटाए जाने के बाद राज्य की मौजूदा स्थिति पर चिंता जताई है और कहा है कि दुनिया का सबसे बड़े लोकतंत्र भारत को मानवाधिकारों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पूरी करनी चाहिए। इसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने भारत को भरोसा दिलाया है कि अमेरिकी कांग्रेस के कई सदस्यों द्वारा कड़ी आलोचना किए जाने से कोई असर नहीं पड़ेगा। भारत के साथ उसके रिश्ते भागीदारी पर निर्भर हैं। कश्मीर के मुद्दे से कोई असर होगा।

इन सदस्यों ने मानवाधिकारोंपर चिंता जताई

दक्षिण एशिया में मानवाधिकारों पर कांग्रेस की सुनवाई के दौरान प्रमिला जयपाल, शीला जैक्सन ली, इल्लाह ओमर और दूसरे कांग्रेस सदस्यों ने कश्मीर में मानवाधिकारों को लेकर चिंता जताई। अनुच्छेद 370 के बाद कश्मीर में मानवाधिकारों पर सुनवाई के अलावा एनआरसी पर भी कांग्रेस की उप-समिति में चर्चा हुई। अमेरिकी कांग्रेस अध्यक्ष ब्रैड शर्मन की अध्यक्षता में ढाई घंटे की लंबी सुनवाई चली। इस बैठक में प्रमिला जयपाल, पाकिस्तान के कॉकस की सदस्य शीला जैक्सन ली सहित कई कांग्रेस सदस्यों, कांग्रेस के अध्यक्ष इल्हान उमर, रॉबर्ट डेस्ट्रो, अमेरिकी सहायक विदेश मंत्री, और मानवाधिकार और श्रम के अन्य सदस्य शामिल थे। इस दौरान कश्मीर के अलावा, एनआरसी का मुद्दा भी चर्चाओं में आया।

बैठक में कश्मीरी पंडितों का भी मुद्दा उठा

शर्मन, जिन्होंने कश्मीर को ‘दुनिया में सबसे खतरनाक फ्लैश प्वाइंट’ के रूप में वर्णित करते हुए सुनवाई शुरू की, ने कहा कि उन्होंने वर्षों से कश्मीर में आतंकवादी हमलों की निंदा की है और कश्मीरी पंडितों के बारे में भी बात की है।  

कश्मीर में मानवीय संकट

कानूनविद टेड योहो, अबीगैल स्पैनबर्गर और माइक फिट्ज़पैट्रिक ने भी कश्मीर में मानवाधिकार की स्थिति पर चिंता व्यक्त की और भारत से लोगों के आंदोलन, संचार प्रतिबंध और राजनीतिक नेताओं को बंदी बनाने पर प्रतिबंध लगाने के लिए कदम उठाने का आग्रह किया। जब कांग्रेसी महिला शीला जैक्सन ली (जो पाकिस्तान के कॉकस की सदस्य हैं) ने डेस्ट्रो से पूछा कि क्या यह ‘मानवीय संकट’ था, तो उन्होंने जवाब दिया, ‘हां, यहां मानवीय संकट है।‘ वेल्स ने सवालों के जवाब में कहा, ‘हमने एक प्रतिनिधिमंडल भेजने का प्रयास किया है’, लेकिन उन्होंने कहा कि उन्हें ‘अनुमति नहीं मिली है’।

बैठक में दक्षिण एवं मध्य एशिया मामलों की अमेरिकी कार्यवाहक सहायक विदेश मंत्री एलिस जी वेल्स ने अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की विदेश मामलों की समिति की एशिया, प्रशांत एवं निरस्त्रीकरण उपसमिति को बताया कि भारत सरकार ने तर्क दिया है कि अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान निरस्त करने का फैसला आर्थिक विकास करने, भ्रष्टाचार कम करने और खासकर महिलाओं एवं अल्पसंख्यकों के संदर्भ में जम्मू-कश्मीर में सभी राष्ट्रीय कानूनों को समानता से लागू करने के लिए लिया गया है।

80 लाख लोगों का जीवन प्रभावित

वेल्स ने कहा, ‘हम इन उद्देश्यों का समर्थन करते हैं, लेकिन अमेरिकी विदेश मंत्रालय कश्मीर घाटी में हालात को लेकर चिंतित है जहां पांच अगस्त के बाद करीब 80 लाख लोगों का दैनिक जीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। ' उन्होंने कहा कि इस फैसले के बाद से अमेरिका जम्मू-कश्मीर में हालात पर करीब से नजर रख रहा है। वेल्स ने कहा, ‘हालांकि जम्मू और लद्दाख में हालात सुधरे हैं, लेकिन घाटी में स्थिति सामान्य नहीं हुई है।'

नेता और स्थानीय निवासी हिरासत में

उन्होंने कहा कि अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों समेत नेताओं और स्थानीय निवासियों को हिरासत में लेने को लेकर भारत सरकार के समक्ष चिंता जताई है। उन्होंने कहा, ‘हमने भारत सरकार से मानवाधिकारों का सम्मान करने और इंटरनेट एवं मोबाइल नेटवर्कों समेत सेवाओं तक पूर्ण पहुंच बहाल करने की अपील की है।' वेल्स ने कहा कि कश्मीर में हुए घटनाक्रम को विदेशी और स्थानीय पत्रकारों ने बड़े पैमाने पर कवर किया है लेकिन सुरक्षा संबंधी पाबंदियों के कारण उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

रिश्तों पर नहीं होगा असर

एलिस वेल्स ने कहा कि जब हम देखते हैं कि भारतीय संस्थाएं कश्मीर में कदम उठाने में विफल रही है या बहुत सुस्त रही हैं लेकिन हमारे इस आंकलन का हमारे रिश्तों का कोई संबंध नहीं है। हमारे रिश्ते भागीदारी के हैं।

भारतीय पत्रकार ने कहा आतंकियों के कारण मानवाधिकार उल्लंघन

इस बीच, सुनवाई के दौरान कश्मीर की रहने वाली वरिष्ठ भारतीय पत्रकार आरती टिक्कू ने कश्मीर में पाक स्थित आतंकी समूहों की हरकतों का खुलासा किया। उन्होंने कहा कि कश्मीर में आतंकी संगठनों की वजह से मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है और वहां हालात सामान्य होने में बाधाएं आ रही हैं। वे कश्मीर में लोगों की जिंदगी सामान्य नहीं होने देना चाहते हैं। लश्करे तोयबा ने 14 जून 2018 को कश्मीरी पत्रकार शुजात बुखारी की इस वजह से हत्या कर दी क्योंकि बुखारी चाहते थे कि पाकिस्तान समर्थित हिंसा बंद हो और कश्मीर में मानवाधिकारों का उल्लंघन रुके।

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