भारत द्वारा आने वाले 4 नवंबर के बाद ईरान से तेल आयात जारी रखने और रूस के साथ एस-400 एयर डिफेंस डील पर अमेरिका ने कहा कि भारत के ये फैसले ‘मददगार नहीं’ हैं और अमेरिका बहुत सावधानी से इन फैसलों की समीक्षा कर रहा है।
राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा ईरान के साथ हुए परमाणु करार से बाहर आ जाने के बाद अमेरिका ईरान पर तमाम तरह के प्रतिबंध लगा रहा है। इसी क्रम में अमेरिका ने ईरान के साथ व्यापार करने वाले देशों को भी चेताया है। अभी तक अमेरिका अपने मित्र देशों को 4 बार चेतावनी दे चुका है कि वे ईरान से होने वाले तेल आयात को कम करते हुए शून्य पर लाएं।
अब ऐसी खबरें आ रही हैं कि भारत 4 नवंबर के बाद भी ईरान से तेल खरीदना जारी रखेगा। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट की प्रवक्ता हीदर नुअर्ट ने कहा कि ऐसा करना ‘मददगार नहीं’ होगा।
बता दें कि पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने सोमवार को कहा था कि दो रिफाइनरियों ने नवंबर के लिए ईरान से आयात के ऑर्डर लगा दिए हैं।
हीदर नुअर्ट का कहना था कि "अमेरिका की नीति इस मामले में एकदम स्पष्ट है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी इस बारे में स्पष्ट कह चुके हैं। हम लगातार संबंधित पक्षों से बातचीत पर जोर दे रहे हैं लेकिन यह भी साफ है कि प्रतिबंधों को लेकर अमेरिका प्रतिबद्ध हैं।" नुअर्ट के अनुसार पिछले महीने दोनों देशों के बीच हुई टू प्लस टू वार्ता में भी इस मुद्दे पर चर्चा हुई थी।
भारत-रूस के बीच हुए हालिया एस-400 एयर डिफेंस समझौते पर नुअर्ट ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप ने इस मसले पर सीएएटीएसए प्रतिबंधों और इनको लागू करने के तरीकों के बारे में जानकारी मांगी है। और कहा है कि भारत को इस बारे में सोचना होगा। यह समझौता भी मददगार नहीं है। हम इसे बहुत सावधानी से देख रहे हैं।
क्यों मुश्किल है ईरान से तेल आयात बंद करना?
भारत ईरान से अपनी जरूरत का लगभग 12 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है। ईरान भारत का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है। दोनों देशों के रिश्ते सिर्फ तेल के व्यापार तक सीमित नहीं हैं, बल्कि अफगानिस्तान के साथ्ा ही पश्चिम एशियाई देशों में ईरान भ्ाी भारत के लिए एक प्रमुख मित्र देश है। भारत ईरान में चाबहार बंदरगाह भी विकसित कर रहा है। अगर भारत ईरान से पूरी तरह तेल का आयात बंद करता है तो ईरान भी भारत को अपने यहां देने वाली सुविधाओं में कटौती कर सकता है।