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एनएसजी की राह, विएना में कुछ नहीं हुआ, सियोल में 24 जून को होगा फैसला

परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह यानी एनएसजी की सदस्यता के लिए भारत की राह अभी तक आसान नहीं हुई है। अमेरिका, मैक्सिको और स्विटजरलैंड ने इस मसले पर अपनी सहमति दे दी है, लेकिन चीन सहित छह अन्‍य देश अभी भी इस पर एक राय कायम नहीं कर सके हैं। इन देशों ने भारत का विरोध किया है। कोरिया की राजधानी सियोल में इस महीने के अंत में होने वाले एनएसजी के पूर्ण अधिवेशन में इस पर अंतिम विचार किए जाने की संभावना है। विएना में हुई एनएसजी की दो दिवसीय बैठक में इस मुद्दे पर किसी निष्कर्ष पर न पहुंच पाने के बाद यह फैसला किया गया। सियाेल में 24 जून को एनएसजी का पूर्ण अधिवेशन होने वाला है।
एनएसजी की राह, विएना में कुछ नहीं हुआ, सियोल में 24 जून को होगा फैसला

भारत की सदस्‍यता का विरोध कर रहे चीन का कहना है कि एनएसजी को नए आवेदकों के लिए विशिष्ट शर्तों में ढील नहीं देनी चाहिए। एनएसजी संवेदनशील परमाणु प्रौद्योगिकी तक पहुंच को नियंत्रित करता है। परमाणु अप्रसार संधि :एनपीटी: पर भारत की ओर से दस्तखत न किए जाने को आधार बनाकर उसकी दावेदारी का विरोध करने वाले कई देशों ने तो अब अपना रुख नरम किया है और समझौता करने के लिए तैयार हैं।

विएना में हुई बैठक में चीन ने सीधे तौर पर तो भारत की सदस्यता का विरोध नहीं किया, लेकिन इसे एनपीटी पर दस्तखत न करने से जोड़ा। एनएसजी आम राय के आधार पर काम करती है और भारत के खिलाफ किसी एक देश का वोट भी उसकी दावेदारी में रोड़े अटका सकता है। 48 देशों के समूह एनएसजी में चीन के अलावा न्यूजीलैंड, आयरलैंड, तुर्की, दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रिया भी भारत की दावेदारी के विरोध में हैं।

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