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ब्रिटेन की वैक्सीन नीति पर क्यों भड़का है भारत? कहा- समाधान करें, नहीं तो हम भी उठाएंगे कठोर कदम

यात्रियों के संबंध में ब्रिटेन की नई कोविड-19 टीका नीति को लेकर भारत ने अपनी नाराजगी खुलकर जाहिर कर दी...
ब्रिटेन की वैक्सीन नीति पर क्यों भड़का है भारत? कहा- समाधान करें, नहीं तो हम भी उठाएंगे कठोर कदम

यात्रियों के संबंध में ब्रिटेन की नई कोविड-19 टीका नीति को लेकर भारत ने अपनी नाराजगी खुलकर जाहिर कर दी है। वहीं इसके संबंध में भारत की चिंताओं का समाधान नहीं किए जाने की स्थिति में विदेश सचिव हर्षवर्द्धन श्रृंगला ने मंगलवार को कहा कि ऐसी स्थिति में ‘‘उसी तरह के कदम उठाए जा सकते हैं।’’

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कोविशील्ड टीका लगवाने वालों के संबंध में देश की चिंताओं से ब्रिटेन की नवनियुक्त विदेश मंत्री एलिजाबेथ ट्रस को न्यूयॉर्क में हुई बैठक में अवगत कराया।

बता दें कि ब्रिटेन के नये यात्रा नियम के मुताबिक, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा बनाए गए कोविशील्ड वैक्सीन की दोनों खुराक लेने वाले लोगों के टीकाकरण को मान्यता नहीं दी जाएगी और ब्रिटेन पहुंचने पर उन्हें 10 दिनों के पृथक-वास में रहने की आवश्यकता होगी।

श्रृंगला ने कहा, ‘‘यहां मुख्य मुद्दा यह है कि, एक वैक्सीन है कोविशील्ड जो ब्रिटिश कंपनी का लाइसेंसी उत्पाद है, जिसका उत्पादन भारत में होता है और ब्रिटिश सरकार के अनुरोध पर हमने ब्रिटेन को इसकी 50 लाख खुराक भेजी है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम समझते हैं कि इसका इस्तेमाल राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली (एनएचएस) के तहत हो रहा है और ऐसे में कोविशील्ड को मान्यता नहीं देना भेदभावपूर्ण नीति है और इससे ब्रिटेन की यात्रा करने वाले हमारे नागरिक प्रभावित होते हैं।’’

अधिकारिक सूत्रों ने कहा कि यदि 4 अक्टूबर तक भारत की चिंताओं का समाधान नहीं किया गया तो ब्रिटेन से आने वाले यात्रियों के संबंध में वैसे ही कदम उठाये जाएंगे। गौरतलब है कि यात्रा संबंधी ब्रिटेन का नया नियम 4 अक्टूबर से प्रभावी हो रहा है।

पत्रकारों के साथ बातचीत में श्रृंगला ने कहा कि उन्हें बताया गया है कि ब्रिटेन द्वारा कुछ आश्वासन दिया गया है कि इस समस्या का निराकरण किया जाएगा।

श्रृंगला ने कहा, ‘‘हमने कुछ साझेदार देशों को एक-दूसरे के टीकाकरण प्रमाणपत्र को मान्यता देने का विकल्प भी दिया है। लेकिन ये कदम एक-दूसरे के निर्णयों पर निर्भर करते हैं। हमें देखना होगा कि आगे क्या होता है। यदि हम संतुष्ट नहीं होते हैं तो उसी तरह के कदम उठाना हमारे अधिकार क्षेत्र के भीतर होगा।’’

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