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गाजा के अस्पताल पर इजरायली मिसाइल हमला: 21 की मौत, मानवीय संकट गहराया

गाजा शहर के अल-अहली अस्पताल पर रविवार सुबह इजरायली सेना ने मिसाइल हमला किया, जिसमें सात बच्चों सहित कम...
गाजा के अस्पताल पर इजरायली मिसाइल हमला: 21 की मौत, मानवीय संकट गहराया

गाजा शहर के अल-अहली अस्पताल पर रविवार सुबह इजरायली सेना ने मिसाइल हमला किया, जिसमें सात बच्चों सहित कम से कम 21 लोगों की मौत हो गई। यह हमला गाजा के पहले से ही चरमराते स्वास्थ्य तंत्र के लिए एक और बड़ा झटका है। गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इमरजेंसी यूनिट, सर्जरी विभाग और ऑक्सीजन स्टेशन पूरी तरह से नष्ट हो गए हैं, जिससे अस्पताल अब कार्य करने में असमर्थ है।

इजरायली सेना का दावा, हमास का खंडन

इजरायली सेना का कहना है कि यह हमला अस्पताल परिसर में मौजूद एक कथित हमास कमांड-एंड-कंट्रोल सेंटर को निशाना बनाकर किया गया था। दूसरी ओर, हमास ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इसे "स्वास्थ्य प्रणाली को बर्बाद करने की साजिश" बताया और अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग की है।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हमले से पहले मरीजों और स्टाफ को बाहर निकालने की कोशिश की गई, लेकिन अफरा-तफरी में एक बच्चे की जान चली गई, क्योंकि उसे समय पर चिकित्सा नहीं मिल सकी।

पृष्ठभूमि: अक्टूबर 2023 से जारी संघर्ष

यह हमला उस लंबे संघर्ष का हिस्सा है जो 7 अक्टूबर 2023 को हमास द्वारा इजरायल पर हमले के बाद शुरू हुआ था। तब से अब तक गाजा में इजरायली सैन्य अभियानों में 50,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें अधिकांश नागरिक हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, गाजा के 36 में से सिर्फ़ 21 अस्पताल आंशिक रूप से कार्य कर रहे हैं, और दवाओं की भारी कमी के कारण हालात लगातार बिगड़ रहे हैं।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और गहराता संकट

अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इस हमले की कड़ी निंदा की है। ब्रिटेन के विदेश सचिव डेविड लैमी ने इसे "निंदनीय" बताया, जबकि मिस्र और कतर ने इसे मानवीय संकट को और गहरा करने वाला कदम कहा।

गाजा में अब अस्पताल, स्कूल और अन्य सार्वजनिक स्थान भी सुरक्षित नहीं माने जा रहे हैं, जिससे नागरिकों के बीच भय और असुरक्षा का माहौल और बढ़ गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि तत्काल युद्धविराम और मानवीय सहायता की आपूर्ति सुनिश्चित नहीं की गई, तो संकट और भी भयावह हो सकता है। अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद अब तक शांति की दिशा में कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है।

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