इज़राइल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के बीच इज़राइली रक्षा मंत्री योआव गैलेंट ने एक बेहद तीखा बयान देते हुए ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनी को "आधुनिक हिटलर" करार दिया और कहा कि खामेनी को अब "अस्तित्व में रहने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।" गैलेंट का यह बयान उस समय आया जब ईरान ने इज़राइल के कई हिस्सों पर बैलिस्टिक मिसाइलों से हमला किया, जिनमें बीयरशेबा का सोरोका अस्पताल, होलोन और रमात गान जैसे क्षेत्र शामिल हैं। हमलों में सैकड़ों लोगों के घायल होने की खबर है। इसके जवाब में इज़राइल ने ईरान के अराक शहर में स्थित एक संवेदनशील न्यूट्रॉन रिसर्च फैसिलिटी समेत कई सैन्य और रणनीतिक ठिकानों पर एयरस्ट्राइक की।
गैलेंट ने अपने बयान में कहा कि खामेनी ने इज़राइल के खिलाफ खुला युद्ध छेड़ दिया है और उनका इरादा यहूदी राष्ट्र को समाप्त करना है, जो बिल्कुल उसी तरह है जैसा हिटलर ने किया था। उन्होंने कहा, "एक तानाशाह, जो यहूदी राज्य को खत्म करने की बात करता है, वह अब इतिहास में चला जाना चाहिए।" इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भी इसी सुर में खामेनी को "आधुनिक हिटलर" कहा और संकेत दिया कि यह समय पर्शियन लोगों को धार्मिक तानाशाही से मुक्ति दिलाने का है।
यह बयान केवल शब्दों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे गहरा सैन्य संकेत भी है। इज़राइल की खुफिया और रक्षा एजेंसियों को खामेनी के खिलाफ रणनीतिक विकल्पों पर काम करने का आदेश दिया गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह भी संकेत हैं कि इज़राइल अब ईरान के नेतृत्व पर केंद्रित "टारगेटेड स्ट्राइक्स" की योजना बना सकता है। इस पूरे घटनाक्रम के दौरान अमेरिका ने स्थिति पर नजर बनाए रखी है, हालांकि आधिकारिक रूप से किसी सैन्य हस्तक्षेप से अभी इनकार किया गया है।
यह बयानबाज़ी और सैन्य कार्रवाई उस व्यापक क्षेत्रीय संघर्ष की ओर इशारा करती है जो आने वाले समय में और भी गंभीर हो सकता है। ईरान और इज़राइल के बीच लंबे समय से चले आ रहे छद्म युद्ध ने अब एक खुले युद्ध का रूप ले लिया है, और खामेनी को लेकर इस तरह की भाषा अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में असामान्य और खतरनाक मानी जा रही है। इस स्थिति में क्षेत्रीय स्थिरता के लिए एक बड़ा खतरा पैदा हो गया है, जिसमें अमेरिका, सऊदी अरब, और अन्य पश्चिमी देश भी रणनीतिक रूप से उलझ सकते हैं।
संक्षेप में, इज़राइली रक्षा मंत्री का खामेनी को लेकर दिया गया यह बयान केवल बयान नहीं, बल्कि एक स्पष्ट चेतावनी है कि अब संघर्ष केवल सीमा तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि सत्ता के शिखर को भी निशाना बनाया जा सकता है। यह पश्चिम एशिया के लिए निर्णायक मोड़ हो सकता है, जिसकी गूंज पूरी दुनिया में सुनाई देगी।