रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने गुरुवार को भारत का नाम उन तीन देशों में शामिल किया जिनके साथ वह यूक्रेन संघर्ष के संबंध में लगातार संपर्क में हैं और कहा कि वे इस मुद्दे को सुलझाने के लिए ईमानदारी से प्रयास कर रहे हैं, सरकारी समाचार एजेंसी टीएएसएस ने यह जानकारी दी। गौरतलब है कि दो हफ्ते पहले पीएम मोदी ने यूक्रेन का दौरा किया था।
व्लादिवोस्तोक में पूर्वी आर्थिक मंच (ईईएफ) के पूर्ण अधिवेशन में उनके वक्तव्य की रिपोर्टिंग करते हुए अमेरिकी मीडिया आउटलेट पोलिटिको ने बताया कि उन्होंने यह भी कहा, "यदि यूक्रेन की इच्छा वार्ता जारी रखने की है, तो मैं ऐसा कर सकता हूं।"
पुतिन की यह टिप्पणी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यूक्रेन की ऐतिहासिक यात्रा के दो सप्ताह के भीतर आई है, जहां उन्होंने राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की के साथ वार्ता की थी।
रूसी समाचार एजेंसी ने पुतिन के हवाले से कहा, "हम अपने मित्रों और साझेदारों का सम्मान करते हैं, जो, मेरा मानना है, इस संघर्ष से जुड़े सभी मुद्दों को ईमानदारी से हल करना चाहते हैं, मुख्य रूप से चीन, ब्राजील और भारत। मैं इस मुद्दे पर अपने सहयोगियों के साथ लगातार संपर्क में रहता हूं।"
इसके अलावा, रूसी राष्ट्रपति के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने इजवेस्टिया दैनिक को बताया कि भारत यूक्रेन पर वार्ता स्थापित करने में मदद कर सकता है।
मोदी और पुतिन के बीच मौजूदा "अत्यधिक रचनात्मक, यहां तक कि मैत्रीपूर्ण संबंधों" को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय प्रधानमंत्री "इस संघर्ष में भाग लेने वालों से प्रत्यक्ष जानकारी प्राप्त करने की दिशा में अग्रणी भूमिका निभा सकते हैं" क्योंकि वह "पुतिन, ज़ेलेंस्की और अमेरिकियों के साथ स्वतंत्र रूप से संवाद करते हैं।"
पेस्कोव ने कहा, "इससे भारत को विश्व मामलों में अपना वजन डालने, अपने प्रभाव का उपयोग करने का एक बड़ा अवसर मिलता है, जिससे अमेरिका और यूक्रेन को अधिक राजनीतिक इच्छाशक्ति का उपयोग करने तथा शांतिपूर्ण समाधान के मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया जा सकेगा।"
हालांकि, उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर मोदी की मध्यस्थता की कोई विशेष योजना नहीं है। क्रेमलिन प्रवक्ता ने कहा, "इस समय उनका अस्तित्व मुश्किल से ही है, क्योंकि हमें फिलहाल बातचीत के लिए कोई पूर्व शर्त नजर नहीं आती।"
गौरतलब है कि जुलाई महीने में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रुस के दौरे पर गए थे और राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात की थी।
मोदी ने 23 अगस्त को यूक्रेन का दौरा किया, जहां उन्होंने राष्ट्रपति जेलेंस्की को बताया कि यूक्रेन और रूस को बिना समय बर्बाद किए साथ बैठकर चल रहे युद्ध को समाप्त करना चाहिए तथा भारत क्षेत्र में शांति बहाल करने के लिए "सक्रिय भूमिका" निभाने के लिए तैयार है।
यूक्रेन की उनकी लगभग नौ घंटे की यात्रा, 1991 में इसकी स्वतंत्रता के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा थी। यह यात्रा राष्ट्रपति पुतिन के साथ उनकी शिखर वार्ता के छह सप्ताह बाद हुई, जिससे कुछ पश्चिमी देशों में नाराजगी फैल गई थी।
कीव में ज़ेलेंस्की के साथ अपनी वार्ता में मोदी ने कहा कि भारत संघर्ष की शुरुआत से ही शांति के पक्ष में रहा है और वह इस संकट के शांतिपूर्ण समाधान के लिए व्यक्तिगत रूप से भी योगदान देना चाहेंगे।