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अगले महीने यूक्रेन जा सकते हैं पीएम मोदी, क्या होगी बातचीत?

यूक्रेन में शांति कायम करने के नये वैश्विक प्रयासों के बीच भारत और पूर्वी यूरोपीय देश अगले महीने...
अगले महीने यूक्रेन जा सकते हैं पीएम मोदी, क्या होगी बातचीत?

यूक्रेन में शांति कायम करने के नये वैश्विक प्रयासों के बीच भारत और पूर्वी यूरोपीय देश अगले महीने प्रधानमंत्री नरेन्द्र की कीव यात्रा की संभावना तलाश रहे हैं। राजनयिक सूत्रों ने शनिवार को यह जानकारी दी।

सूत्रों ने बताया कि मोदी 24 अगस्त को यूक्रेन के राष्ट्रीय दिवस के आसपास कीव की यात्रा कर सकते हैं और उनके यूक्रेन से पोलैंड जाने की भी संभावना है। प्रधानमंत्री ने इटली के अपुलिया में जी7 शिखर सम्मेलन के इतर पिछले महीने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से मुलाकात की थी।

अगर मोदी पोलैंड जाते हैं, तो यह चार दशक से अधिक समय बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पोलैंड की पहली यात्रा होगी।

सूत्रों ने बताया कि भारत और यूक्रेन अगस्त में मोदी की कीव यात्रा की संभावना तलाश रहे हैं। उन्होंने बताया कि अभी यात्रा पर अंतिम फैसला नहीं लिया गया है, क्योंकि इसके लिए व्यापक तैयारियां करने की आवश्यकता होगी।

सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री की दो देशों की यह यात्रा 23-24 अगस्त के आसपास शुरू हो सकती है। हालांकि, भारत या यूक्रेन की ओर से अभी यात्रा की संभावनाओं पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की गई है।

प्रधानमंत्री मोदी ने 14 जून को यूक्रेन के राष्ट्रपति से मुलाकात के दौरान कहा था कि भारत, रूस-यूक्रेन संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान के लिए अपने साधनों के भीतर हरसंभव प्रयास करना जारी रखेगा। उन्होंने यह भी कहा था कि शांति का रास्ता ‘‘बातचीत और कूटनीति’’ से होकर गुजरता है।

मोदी ने जेलेंस्की से कहा था कि भारत ‘‘मानव-केंद्रित’’ दृष्टिकोण में विश्वास करता है। उस बैठक में यूक्रेनी राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री को कीव की यात्रा पर आने का निमंत्रण दिया था। भारत यह कहता रहा है कि यूक्रेन में संघर्ष को संवाद और कूटनीति के जरिये हल किया जाना चाहिए।

मोदी ने आठ-नौ जुलाई को रूस की यात्रा की थी और अमेरिका ने इसकी आलोचना की थी। ऐसी खबरें हैं कि मोदी की रूस यात्रा को लेकर कई पश्चिमी देश नाखुश हैं। भारत ने प्रधानमंत्री मोदी की रूस यात्रा पर अमेरिका की चिंताओं को बृहस्पतिवार को खारिज करते हुए कहा कि बहुध्रुवीय विश्व में सभी देशों को अपनी ‘‘पसंद को तरजीह देने की स्वतंत्रता’’ है और सभी को ऐसी वास्तविकताओं के प्रति सचेत रहना चाहिए।

 

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