रूस ने 3 जुलाई 2025 को अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को औपचारिक मान्यता दी, जो इसे मान्यता देने वाला पहला देश बन गया। रूसी विदेश मंत्रालय ने तालिबान के नए राजदूत गुल हसन हसन के परिचय पत्र स्वीकार किए। मॉस्को में अफगान दूतावास पर तालिबान का सफेद झंडा फहराया गया। यह खबर अल जजीरा की रिपोर्ट में सामने आई।
रूस ने अप्रैल 2025 में तालिबान को अपनी आतंकी सूची से हटाया था। रूसी विदेश मंत्रालय ने कहा, “यह मान्यता दोनों देशों के बीच व्यापार, ऊर्जा, और बुनियादी ढांचे में सहयोग को बढ़ाएगी।” रूस अफगानिस्तान को तेल, गैस और गेहूं निर्यात करता है। अफगान विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी ने इसे “साहसी कदम” बताया और उम्मीद जताई कि अन्य देश इसका अनुसरण करेंगे।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने तालिबान को आतंकवाद के खिलाफ सहयोगी बताया। रूस के विशेष दूत जमीर काबुलोव ने कहा, “यह कदम अफगानिस्तान के साथ पूर्ण साझेदारी की दिशा में है।” तालिबान ने अगस्त 2021 में अमेरिकी सेना की वापसी के बाद काबुल पर कब्जा किया था। तब से कोई देश उनकी सरकार को मान्यता नहीं दे रहा था।
इस कदम की आलोचना भी हुई। अफगानिस्तान की पूर्व सांसद मरियम सोलैमानखिल ने कहा, “यह मानवाधिकारों और अंतरराष्ट्रीय कानून को नजरअंदाज करता है।” तालिबान पर महिलाओं और लड़कियों की शिक्षा और स्वतंत्रता पर पाबंदी के लिए वैश्विक निंदा होती रही है। पूर्व अफगान राजनेता नसीर अहमद अंदीशा ने इसे “दोनों पक्षों के लिए हानिकारक” बताया।
रूस का यह कदम मध्य और दक्षिण एशिया में उसकी रणनीतिक स्थिति को मजबूत करता है। तालिबान ने रूस के साथ आर्थिक मंचों, जैसे कजान फोरम और सेंट पीटर्सबर्ग इकोनॉमिक फोरम, में हिस्सा लिया। यह कदम भारत जैसे देशों के लिए कूटनीतिक चुनौती पेश कर सकता है, जो अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ सतर्क रुख रखता है।