देश के किसी सैन्य प्रतिष्ठान में हुए सबसे बड़े आतंकी हमलों में से एक इस हमले में विस्फोटक से भरे जैकेट पहने और हैंड ग्रेनेड, मोर्टार, एके-47 राइफलों से लैस आतंकवादियों के समूह ने पहले एक सुरक्षा चौकी पर धावा बोला। फिर ये आतंकवादी खैबर पख्तूनख्वा प्रांत की राजधानी पेशावर के बाहरी हिस्से में स्थित बड़ाबेर एयर बेस में घुस गए।
पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसीम बाजवा ने ट्वीट कर बताया कि सुरक्षा बलों ने 13 आंतकवादियों को मार गिराया है। बाजवा ने कहा है कि वायु सेना शिविर के भीतर एक मस्जिद में 16 व्यक्ति नमाज अदा कर रहे थे जिन्हें आतंकवादियों ने मार डाला। बाजवा ने कहा कि आतंकवादियों ने छोटे समूहों में विभाजित होकर दो अलग-अलग भागों से शिविर में प्रवेश किया और सुरक्षा बलों के साथ उनकी भीषण मुठभेड़ हुई। इस हमले में आठ सैनिकों और दो वरिष्ठ सैन्य अधिकारी सहित कम से कम 22 लोग घायल हो गए हैं। घायलों को पेशावर के सैन्य अस्पताल में भर्ती कराया गया हैै और दो घायलों को लेडी रीडिंग अस्पताल ले जाया गया। दोनों अस्पतालों में आपात स्थिति घोषित कर दी गई है।
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान यानी टीटीपी ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। टीटीपी के प्रवक्ता मोहम्मद खुरासानी ने ईमेल के जरिए एक बयान में बताया उनकी आत्मघाती इकाई ने यह हमला किया। खुरासानी ने दावा किया कि आतंकवादियों ने करीब 80 सुरक्षा कर्मियों को घेर लिया जिनमें से 50 मारे गए लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हुई हैैैै। उसने यह भी दावा किया कि महिलाओं और बच्चों को सुरक्षित निकल जाने दिया गया, हालांकि इसकी भी पुष्टि नहीं हो सकी हैै।
बाजवा ने बताया कि सुरक्षा बल शीघ्र ही घटनास्थल पर पहुंच गए और पूरे इलाके को सील कर दिया लेकिन गोलीबारी अब भी जारी है। बाजवा ने ट्वीट किया है, अभियान अभी जारी है। छिपे हुए आतंकवादियों की तलाश चल रही है। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, आतंकवादियों को काले रंग के कपड़े और सफेद जूते पहने देखा। हमला होने के बाद विस्फोट और गोलीबारी की आवाज अभी भी सुनी जा सकती है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्राी नवाज शरीफ ने हमले की निंदा की और कहा, आतंकवादियों का देश से सफाया कर दिया जाएगा। गौरतलब है कि बड़ाबेर एयर बेस कार्यशील नहीं है और इसका इस्तेमाल वायु सेना के कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए एक रिहायश स्थान के तौर पर किया जाता हैै। आतंकवादी पेशावर को अक्सर अपना निशाना बनाते रहे हैंं। पिछले साल दिसंबर में तालिबान के बंदूकधारियों ने सेना के एक स्कूल में हमला किया था जिसमें 150 से अधिक लोग मारे गए थे। इनमें से अधिकतर बच्चे थे।
आज का हमला उस जगह पर हुआ है जो कबायली इलाकों से घिरी हुई है। कबायली इलाकों में पिछले एक साल में सेना ने तालिबान और अन्य उग्रवादियों के खिलाफ बड़ा अभियान चलाया है।पाकिस्तान में करीब एक दशक से चल रहे इस्लामिक उग्रवाद को खत्म करने के उद्देश्य से सेना ने आतंकी ठिकानों को नष्ट करने के प्रयासों के तहत जून 2014 में जर्ब-ए-अज़्ब अभियान चलाया था।