इस चार दिवसीय (21-24 नवंबर) यात्रा के दौरान जनरल सुहाग का पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) और सेंट्रल मिलिट्री कमीशन (सीएमसी) के शीर्ष अधिकारियों के साथ भेंटवार्ता करने का कार्यक्रम है। सेना प्रमुख इस यात्रा पर एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ गए हैं। सीएमसी चीनी सेना की संपूर्ण उच्च कमान है और उसके अगुआ राष्ट्रपति शी जिनपिंग हैं। भारतीय सेना का एक बयान कहता है, यह यात्रा रक्षा सहयोग के क्षेत्र में पीएलएफ के साथ पुनर्साझेदारी और दोनों देशों के बीच के वर्तमान सहयोग एवं विश्वास को और गहरा करने का एक मौका है। बयान के अनुसार यह सैन्य प्रतिनिधिमंडल इंफैंट्री डिवीजन और आर्मी एयर डिफेंस बिग्रेड समेत अहम सैन्य प्रतिष्ठानों का दौरा करेंगे। इस यात्रा का उद्देश्य परस्पर चिंता और साझे हित के विषयों पर चीन के साथ संवाद करना है जिनमें आतंकवाद, मानवीय सहायता और शांति मिशन प्रशिक्षण शामिल हैं।
यह यात्रा विशाल एशियाई देशों के बीच बढ़ते आर्थिक एवं सैन्य संबंध के बीच हो रही है। दोनों देशों के बीच कई शीर्ष स्तरीय राजनयिक एवं सैन्य विनिमय हुआ है। इस यात्रा के समय ही दोनों देशों के बीच पुणे में संयुक्त सैन्य अभ्यास चल रहा है। जनरल सुहाग की यात्रा के बाद पीएलए के वेस्टर्न थियेटर कमान के कमांडर झाओ जोंग की अगले महीने के दूसरे हफ्ते में भारत की यात्रा होगी। वैसे, वास्तविक नियंत्रण रेखा से जुड़े मुद्दे तो बने हुए हैं लेकिन उत्तरी सीमाएं शांत हैं। हालांकि भारत पर्वतीय ब्रिगेड के गठन, आधुनिक आर्टिलरी एवं टैंकों की तैनाती, बड़े एयरफील्ड अवसंरचना के निर्माण आदि के जरिये चीन के साथ लगती अपनी सीमा पर सुरक्षा कड़ी करने में जुटा हुआ है।