बांग्लादेश और म्यांमार ने तय किया है कि वे आने वाले नवंबर में रोहिंग्या लोगों की वापसी शुरू कर देंगे। दोनों देशों के बीच रोहिंग्याओं की वापसी के समझौते की घोषणा ऐसे समय पर आई है जब कुछ दिन पहले ही यूएन जांचकर्ताओं ने चेताया कि म्यांमार में अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के खिलाफ जनसंहार अभी भी जारी है।
बांग्लादेश में बुरी हालत में रह रहे हैं शरणार्थी
म्यांमार के 7,20,000 से ज्यादा रोहिंग्या लोगों ने पड़ोसी देश बंग्लादेश में शरण ले रखी है। पिछले साल अगस्त महीने में सेना द्वारा किेए जा रहे अत्याचारों के चलते ये रोहिंग्या सीमा पार करके बांग्लादेश आ गए थे और वहां बने शरणार्थी कैंपों में बहुत बुरी हालात में रह रहे हैं। बीते बुधवार को यूएन के जांचकर्ताओं ने कहा था कि म्यांमार के सैन्य अधिकारियों को रखाइन स्टेट में रोहिंग्या के जनसंहार के लिए सजा दी जानी चाहिेए। लेकिन म्यांमार ने ऐसा करने से इनकार कर दिया था और कहा था कि सेना स्वयं और देश को आंतकियों से बचा रही थी।
पिछले साल ही बनी थी वापसी पर सहमति लेकिन...
दोनों देशों पिछले साल नवंबर में ही इस प्रक्रिया को शुरू करने पर सहमत हुए थे लेकिन नौकरशाही द्वारा खड़े किए गए बंधनों के कारण ऐसा न हो सका था। इस असफलता के लिए दोनों देशों ने एक दूसरे को दोषी ठहराया था। जबकि म्यांमार के दक्षिणापंथी गुटों ने चेतावनी दी थी कि रोहिंग्याओं की वापसी से उनके खिलाफ हिंसा बढ़ सकती है। एक तरफ जहां म्यांमार में संबंधित अधिकारियों का कहना है कि पिछले महीनों में करीब 100 रोहिंग्या लोगों की वापसी हुई है, वहीं बांग्लादेश का कहना है कि आधिकारिक तौर पर वापसी की प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हुई है।
ढाका में हुए दोनों देशों के प्रतिनिधियों की बातचीत के बाद बांग्लादेश के विदेश सचिव शाहिदुल हक के अनुसार “हम उम्मीद कर रहे हैं कि वापसी की प्रक्रिया नवंबर के मध्य में शुरू हो जाएगी। प्रक्रिया अभी शुरुआती चरण में है।“ वहीं म्यांमार के विदेश मामलों के स्थाई सचिव मिंट तू ने कहा कि “दोनों पक्ष वापसी के लिए एक ‘कंक्रीट प्लान’ पर सहमत हो गए है और यह प्रक्रिया अगले महीने शरू हो जाएगी।“
क्या था संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में?
संयुक्त राष्ट्र के जांचकर्ताओं ने बीते बुधवार को सुरक्षा परिषद को सौंपी अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि म्यांमार में अभी भी रोंहिग्या मुसलमानों का नरसंहार हो रहा है और वहां की सरकार लगातार यह दिखा रही है कि वहां पूरी तरह से कार्यशील लोकतंत्र को स्थापित करने में उसकी कोई रुचि नहीं है। इसके साथ ही रिपोर्ट में इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण के पास भेजे जाने की मांग की गई है।
म्यांमार को लेकर बने संयुक्त राष्ट्र के तथ्यान्वेषी मिशन के अध्यक्ष मार्जुकी दारूसमन ने कहा था कि हजारों रोंहिग्या मुसलमान अब भी बांग्लादेश की तरफ पलायन कर रहे हैं और बौद्ध बहुल देश में पिछले साल के क्रूर सैन्य अभियान के बाद वहां बचे करीब ढाई से चार लाख लोगों को सबसे गंभीर प्रतिबंधों और दमन का सामना करना पड़ रहा है। दारूसमन ने जांजचकर्ताओं की टीम की 444 पृष्ठ वाली रिपोर्ट को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में पेश किया था।