चीन ने यह भी कहा है कि उसके पास ऐसा करने के लिए श्रीलंका की पूर्ववर्ती सरकार की सहमति है।
गौरतलब है कि श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे चीन समर्थक माने जाते थे और इसलिए उन्होंने चीन को कोलंबो में इस बंदरगाह के निर्माण की अनुमति दी थी। चीन की मंशा हमेशा से भारत को चारों तरफ से घेरने की रही है और इसलिए उसने एक ओर पाकिस्तान, दूसरी ओर म्यांमार और तीसरी ओर समुद्र में श्रीलंका को अपना सहयोगी बनाया। वह नेपाल और भूटान को भी अपने प्रभाव में लेना चाहता है मगर इसमें उसे अब तक कामयाबी नहीं मिली है। नेपाल में तो माओवादी सरकार के समय उसे कुछ सहुलियतें मिली थीं मगर बाद में वहां भारत समर्थक सरकार बन गई। श्रीलंका के नए राष्ट्रपति सिरीसेना भी भारत समर्थक माने जाते हैं और उन्होंने इस बंदरगाह परियोजना की समीक्षा करने की घोषणा की है। चीनी मीडिया हाउस ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि अगर श्रीलंका की नई सरकार ने इस परियोजना को रद्द कर दिया तो चीन को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।
श्रीलंका के कोलंबो बंदरगाह पर पिछले साल सितंबर में भी चीनी पनडुब्बियां रुकी थीं जिनमें से एक के परमाणु शक्ति संपन्न होने की बात कही जा रही थी। तब इसपर भारत ने कड़ा ऐतराज जताया था। इस बार चीन ने अपनी पनडुब्बी ठीक उस दिन भेजी जिस दिन जापानी प्रधानमंत्री शिंजो एबे श्रीलंका की यात्रा पर पहुंचे थे। श्रीलंका ने इसपर कड़ा ऐतराज जताया। श्रीलंकाई विदेश मंत्री मंगला समरवीरा ने कहा कि नई सरकार चीनी पनडुब्बियों को वहां खड़े होने की मंजूरी नहीं देगी। उन्होंने पहली बार खुलासा किया कि जापानी प्रधानमंत्री के दौरे के समय ही चीनी पनडुब्बियां बंदरगाह पर खड़ी थीं। चीनी प्रधानमंत्री ली क्विंग और विदेश मंत्री वांग यी के साथ विस्तृत वार्ता करने वाले समरवीरा ने कहा, हम सुनिश्चित करेंगे कि हमारे कार्यकाल में किसी भी ओर से इस तरह की घटनाएं ना हों। वैसे भारतीय रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि चीन कई बार जानबूझ इस तरह की हरकत करता है। जापान के साथ चीन का तनाव प्रशांत महासागर में चल ही रहा है। एबे की यात्रा के समय पनडुब्बी भेजने का एक अर्थ यह भांपना भी हो सकता है कि इसपर जापान या श्रीलंका की नई सरकार की प्रतिक्रिया कैसी रहती है। वैसे भी श्रीलंका के नए राष्ट्रपति सिरीसेना द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने के लिए 26 मार्च को चीन के दौरे पर जाएंगे।
समरवीरा की टिप्पणियों को लेकर चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने संवाददाताओं से कहा, हमें श्रीलंकाई पक्ष से अग्रिम मंजूरी मिली थी। हुआ ने कहा कि चीनी पनडुब्बियां अदन की खाड़ी में दस्यु विरोधी अभियान में हिस्सा लेने के लिए श्रीलंका के रास्ते सोमालिया जा रही थीं और ईंधन भरने के लिए बंदरगाहों पर खड़ी हुई थीं। उन्होंने कहा, ये सामान्य और पारदर्शी गतिविधियां हैं। इसमें अंतरराष्ट्रीय परिपाटी का पालन किया गया था।