केंद्र सरकार ने प्राइवेट सेक्टर के लिए रक्षा क्षेत्र के दरवाजे खोलने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। लड़ाकू विमान औ पनडुब्बी जैसे डिफेंस प्लेेटफॉर्म बनाने के लिए घरेलू कंपनियां अब विदेशी कंपनियों से भागीदारी कर सकेंगी।
ऑस्ट्रेलियाई वेबसाइट द ऑस्ट्रेलियन ने कहा है कि भारतीय स्कॉरपीयन पनडुब्बी परियोजना से जुड़े गोपनीय दस्तावेजों को आगे जारी करने पर अदालत द्वारा अस्थायी रोक लगाए जाने के बाद अब वह इसके दस्तावेजों का प्रकाशन नहीं करेगा।
भारत में स्कॉरपीयन पनडुब्बी निर्माण कर रही फ्रांसीसी रक्षा कंपनी डीसीएनएस ने एक आस्ट्रेलियाई अदालत से संपर्क कर मांग की है कि `द आस्ट्रेलियन` को अपनी वेबसाइट से पनडुब्बी संबंधी डाटा हटाने और आगे ऐसे आंकडे प्रकाशित नहीं करने का निर्देश दिया जाए। इस वेबसाइट ने कंपनी के मुख्यालय से हैक कर हासिल किए गए 22,400 पेज के दस्तावेज जारी कर दिए हैं।
मुंबई के मझगांव गोदी में स्कॉरपीयन पनडुब्बी निर्माण परियोजना के बारे में संवेदनशील दस्तावेज हैकिंग कर लीक करने के गठित उच्च स्तरीय जांच समिति 20 सितंबर तक अपनी रिपोर्ट रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर को सौंप देगी। इस घटना को लेकर पहली बार टिप्पणी करते हुए नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने कहा कि यह मामला ज्यादा चिंताजनक नहीं है। हालांकि, इस घटना को रक्षा मंत्रालय ने गंभीरता से लिया है।
यह पहला अवसर नहीं है। भारत की आधुनिक पनडुब्बियों, वायुसेना के विमानों-हेलीकाप्टर, थल सेना के लिए बोफोर्स जैसी तोपों की खरीदी के सौदों पर अंतरराष्ट्रीय जासूसी दांत गड़ते रहे हैं। वैसे भी भारत के सरकारी-प्रशासनिक तंत्र में रक्षा क्षेत्र की बड़ी खरीदी की प्रक्रिया में दो-चार नहीं दस वर्ष तक लगते रहे हैं।
शनि के चंद्रमा टाइटन पर मौजूद सबसे बड़े महासागर की गहराई का पता लगाने और जीवन के संकतों को तलाशने की मुहिम के तहत नासा वहां एक पनडुब्बी भेजने की योजना बना रहा है।
शनि के चंद्रमा टाइटन पर मौजूद सबसे बड़े महासागर की गहराई का पता लगाने और जीवन के संकेतों को तलाशने की मुहिम के तहत नासा वहां एक पनडुब्बी भेजने की योजना बना रहा है।