चीनी समाचार पत्र के संवाददाता शियाओ शिन ने लिखा है, “ऐसा लगता है कि 'ड्रैगन बनाम हाथी' की रेस में भारत पिछड़ गया है। भारतीय अर्थव्यवस्था में अप्रत्याशित गिरावट से चीन एक बार फिर दुनिया की सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था बन गया है।”
इस तरह के शॉक ट्रीटमेंट से बचा जाना चाहिए
शिन ने लिखा है, “यह तथ्य ये भी दिखाते हैं कि अर्थव्यवस्था पर नोटबंदी का कितना खराब असर दिख रहा है। इसे देखकर यह कहा जा सकता है कि भारत सरकार को नवंबर में लिए गए (नोटबंदी जैसे) सख्त उपायों से पहले गंभीरता से विचार करना चाहिए। भारत को खुशहाली की तरफ ले जाने के लिए सामाजिक-आर्थिक सुधारों के सख्त कदम भले ही बेहद जरूरी हैं, लेकिन इस तरह के शॉक ट्रीटमेंट से बचा जाना चाहिए, क्योंकि ज्यादातर भारतीय अपनी रोजमर्रा की जरूरतों के लिए नकदी पर ही निर्भर रहते हैं।”
'अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने' वाले कदमों से बचेगा भारत
इसमें कहा गया है, “भारत सरकार को निजी क्षेत्रों में निवेश को बढ़ाने के लिए और ज्यादा प्रभावी नीतियां बनाने की जरूरत है. और आशा है कि भारत भविष्य में अपने सुधार कोशिशओं में इस तरह 'अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने' वाले कदमों से बचेगा।”
वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों का असर: भारत
जीडीपी विकास दर में आई इस गिरावट के लिए केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने दुनिया भर में जारी आर्थिक मंदी को जिम्मेदार ठहाराया है। अरुण जेटली ने कहा है कि देश की जीडीपी ग्रोथ पर वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों का असर पड़ा है और वैश्विक परिदृश्य के मद्देनजर देश की जीडीपी वृद्धि दर बहुत अच्छी है।