विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता द्वारा जारी एक बयान में कहा गया, नेपाल शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा दिए गए सहयोग एवं शुभकामनाओं का सम्मान करता है। नेपाल की यह प्रतिक्रिया 13 नवंबर को जारी उस संयुक्त बयान के जवाब में आई है जिसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लंदन यात्रा के दौरान भारत और ब्रिटेन ने नेपाल में स्थायी व समावेशी संवैधानिक समाधान के महत्व पर जोर दिया था। संयुक्त बयान के अनुसार इससे चिंता के अन्य क्षेत्राें का समाधान होगा और राजनीतिक स्थिरिता एवं आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
नेपाल की ओर से जारी बयान के मुताबिक, नेपाल का यह दृढ़ मत है कि संविधान बनाना देश का आतंरिक मामला है और नेपाल खुद अपने आतंरिक मामलों से निपटने में सक्षम है। गौरतलब है कि नेपाल में भारतीय मूल के मधेसी लोगों द्वारा विरोध स्वरूप की जा रही नाकेबंदी के चलते ईंधन की भारी किल्लत हो गई है। मधेसी लोग नए संविधान के तहत देश को सात प्रांतों में बांटे जाने का कड़ा विरोध कर रहे हैं।
इससे पहले नेपाल ने प्रधानमंत्री केपी ओली ने देश में आए संकट के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराया था जबकि तेल समेत दूसरी अन्य सहायता के लिए चीन की तरीफ की है। ओली ने रविवार को कहा था कि सीमा पर भारत की ओर से अघोषित नाकाबंदी ने नेपाल में मानवीय संकट पैदा कर दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक संबंधों के महत्व को कम करने का काम किया है।