पाकिस्तान में 25 जुलाई को हुए नेशनल असेंबली चुनाव की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए यूरोपीय यूनियन मॉनीटर्स (ईयूएम) ने कहा कि इन चुनावों में प्रचार के दौरान सभी दलों को समान अवसर नहीं मिले। यह चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष नहीं थे।
ईयूएम के मुख्य पर्यवेक्षक माइकल गहलर ने मतदान के शुरुआती मूल्यांकन के आधार पर कहा कि हालांकि चुनाव में सभी को समान अवसर देने के लिए कई कानूनी प्रावधान किए गए थे, लेकिन निष्कर्ष यही निकलता है कि इसमें सभी के लिए समानता और अवसरों की कमी थी। नतीजों से पाकिस्तानी जनता संतुष्ट नहीं है। इस बार की चुनावी प्रक्रिया साल 2013 की तरह अच्छी नहीं थी।
ईयूएम ने कहा कि मतगणना में समस्याएं हुईं तो कई बार कर्मचारियों ने तय प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया। मतदान केंद्रों के अंदर और बाहर सुरक्षाकर्मी तैनात थे। यहां तक कि मीडिया समूहों और पत्रकारों को भी पाबंदी का सामना करना पड़ा। निष्पक्ष चुनाव आयोग के बावजूद चुनाव प्रक्रिया नकारात्मक राजनीतिक माहौल से प्रभावित रही।
ईयूएम के 120 से ज्यादा पर्यवेक्षकों ने पंजाब, सिंध,खैबर पख्तूनख्वा और इस्लामाबाद में 113 निर्वाचन क्षेत्रों के 582 मतदान केंद्रों पर चुनाव प्रक्रिया की निगरानी की।
पार्टियों ने लगाए धांधली के आरोप
इससे पहले पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) समेत कई दलों ने शुक्रवार को ऑल पार्टीज कांफ्रेंस में चुनावों में धांधली के आरोप लगाते हुए चुनावी नतीजों को खारिज कर दिया और पारदर्शी तरीके से फिर चुनाव कराने की मांग की। कांफ्रेंस की अध्यक्षता पीएमएल-एन के अध्यक्ष शहवाज शरीफ और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान ने संयुक्त रूप से की। बैठक में ज्यादातर छोटी पार्टियां ही शामिल हुईं। पीपीपी और एमक्यूएम ने इसमें हिस्सा नहीं लिया।