आईसीजे ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को पत्र लिखकर जाधव की फांसी पर रोक लगाने के लिए कहा है। गौरतलब है कि 8 मई को भारत ने पाकिस्तानी सैन्य अदालत के इस फैसले के विरूद्ध अंतरराष्ट्रीय अदालत में अपील की थी। इस दौरान भारत ने अंतरराष्ट्रीय अदालत में कहा था कि कुलभूषण जाधव को अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया और ना ही उन्हें भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों से मिलने की अनुमति दी गई। । गिरफ्तारी के काफी समय बाद तक पाक ने कोई सूचना भी नहीं दी।
#ICJ PRESS RELEASES: #India institutes proceedings against Pakistan and requests provisional measures https://t.co/tYNEF7LY8k pic.twitter.com/sKWX5EmI9N
— CIJ_ICJ (@CIJ_ICJ) 9 May 2017
गौरतलब है कि भारतीय नौसेना के रिटायर्ड अधिकारी कुलभूषण जाधव को जासूसी करने के आरोप में पिछले महीने पाकिस्तानी सैन्य अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी। पाकिस्तान ने जासूसी के आरोप में उन्हें एक साल से भी अधिक समय से हिरासत में रखा है। कुलभूषण जाधव 10 अप्रैल को पाकिस्तान की अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी।
आईसीजे में भारत की दलील
भारत ने अपनी अपील में कहा है कि यह तात्कालीक रूप से अतिगंभीर खतरा है, भारत के प्रति अपने दायित्वों का उल्लंघन करते हुए पाकिस्तान एक भारतीय नागरिक को फांसी की सजा दे सकता है। इसलिए भारत अदालत से अनुरोध करता है कि बिना किसी मौखिक सुनवाई का इंतजार किये वह तत्काल इसपर फैसला सुनाये। आईसीजे से की गयी अपील में भारत ने पाकिस्तान पर राजनयिक संबंधों पर वियेना सम्मेलन के भीषण उल्लंघन का आरोप लगाया है और इस बात पर जोर दिया है कि जाधव का ईरान से अपहरण किया गया था। जाधव भारतीय नौसेना से सेवानिवृत्त होने के बाद ईरान में व्यावसायिक कार्यों से गये हुए थे। हालांकि पाकिस्तान का दावा है कि उसके सुरक्षा बलों ने 3 मार्च 2016 को बलुचिस्तान से जाधव को गिरफ्तार किया।
सुषमा स्वराज ने जाधव की मां को दी जानकारी
बता दें कि जाधव की मां अवंति जाधव ने पिछले महीने पाकिस्तान की सर्वोच्च अदालत में जाधव की फांसी के खिलाफ याचिका दायर की थी। वहीं, अंतरराष्ट्रीय अदालत के फैसले पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ट्वीट करके बताया कि उन्होंने जाधव की मां से बात कर उन्हें इस निर्णय के बारे में बताया है के बारे में बताया है।
I have spoken to the mother of #KulbhushanJadhav and told her about the order of President, ICJ under Art 74 Paragraph 4 of Rules of Court.
— Sushma Swaraj (@SushmaSwaraj) 9 May 2017