भारत जहां 7110 एकड़ जमीन में फैले 51 एन्क्लेव बांग्लादेश को हस्तांतरित करेगा, वहीं पड़ोसी देश करीब 17160 एकड़ में फैले 111 एन्क्लेवों को भारत को सौंपेंगा। बांग्लादेश और भारत 1974 के एलबीए करार को लागू करेंगे और सितंबर, 2011 के प्रोटोकॉल को अगले 11 महीने में चरणबद्ध तरीके से लागू करेंगे। एक अनुमान के मुताबिक बांग्लादेश में भारतीय एन्क्लेवों में करीब 37,000 लोग रह रहे हैं, वहीं भारत में बांग्लादेशी एन्क्लेवों में 14,000 लोग रहते हैं। भारत और बांग्लादेश एन्क्लेवों में रहने वाले लोगों से यह पता लगाने के लिए जुलाई में कवायद पूरी कर चुके हैं कि वे भारतीय नागरिकता चाहते हैं या बांग्लादेश की नागरिकता चाहते हैं।
एक संयुक्त सर्वेक्षण के अनुसार भारत में बांग्लादेशी एन्क्लेवों में रहने वाला कोई नागरिक उस देश में नहीं जाना चाहता। हालांकि बांग्लादेश से करीब 600 लोग भारत आना चाहते हैं। केंद्र सरकार ने एलबीए समझौते के क्रियान्वयन के तहत एन्क्लेवों के हस्तांतरण से प्रभावित लोगों के पुनर्वास के लिए 3048 करोड़ रुपये का पैकेज मंजूर किया है। आगामी 31 जुलाई, 2015 से 30 जून, 2016 के बीच एन्क्लेवों के भौतिक हस्तांतरण आदि समेत पूरी प्रक्रिया समाप्त हो सकती है। दोनों देशों की सरकारें लोगों को उचित यात्रा दस्तावेजों के माध्यम से उनकी निजी संपत्तियों और सामान के साथ भारत या बांग्लादेश के लिए सुरक्षित यात्रा की सुविधा प्रदान करेंगी। दोनों सरकारें 30 नवंबर, 2015 तक गमन की व्यवस्था करेंगी। भारतीय संसद ने मई महीने में एलबीए को मंजूरी दी थी।