इंस्टीट्यूट फॉर साइंस एंड इंटरनेशनल सिक्योरिटी ने कहा कि भारत का परमाणु कार्यक्रम विकासशील देशों में सबसे बड़े परमाणु कार्यक्रमों में से एक है। इसकी ओर से सोमवार जारी रिपोर्ट में कहा गया है, भारत के परमाणु हथियार का अंदाजा उसके वेपन-ग्रेड प्लूटोनियम भंडार को देखते हुए लगाया जा सकता है। परिणामस्वरूप यह अनुमान 110 से 175 हथियारों के बराबर तथा औसतन 138 परमाणु हथियारों का है।
इसमें कहा गया है, हालांकि हथियार बनाने योग्य प्लूटोनियम के स्टाक से भारत द्वारा बनाए गए परमाणु हथियारों की संख्या वास्तव में इससे कम है। जब परमाणु हथियार बनाने में प्लूटोनियम की मात्रा और इसके भंडार पर गौर करते हैं तब यह कहना व्यावहारिक होगा कि हथियार बनाने योग्य यूरेनियम के भंडार का केवल 70 प्रतिशत ही परमाणु हथियार में उपयोग किया गया होगा।
डेविड अलब्राइट और सेरेना केल्हर वेरगांटिनी द्वारा तैयार इस रिपोर्ट में उल्लेख है, परमाणु हथियार बनाने योग्य प्लूटोनियम से 2014 के अंत तक करीब 97 हथियार बनाने का अनुमान है जो 77 से 123 की संख्या के दायरे में हो सकता है। इन हथियार की संख्या मोटे अनुमान में 100 हो सकती है जो 75 से 125 परमाणु हथियारों के दायरे में होगी।
गौरतलब है कि अलब्राइट ने भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु करार के खिलाफ कांग्रेस एवं थिंकटैंक में चलाए गए भारत विरोधी अभियान का नेतृत्व किया था। इस 2014 के आखिर तक असैन्य एवं सैन्य प्लूटोनियम एवं उच्च संवर्धित यूरेनियम का भारत का भंडार नामक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का परमाणु कार्यक्रम विकासशील देशों में सबसे बड़े कार्यक्रमों में से एक है। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि भारत ने परमाणु हथियारों के लिए 100-200 किलोग्राम वेपन-ग्रेड यूरेनियम तैयार किया है।
थिंकटैंक ने कहा, ‘सूचना के अभाव के बावजूद जो सबूत हैं उससे यही पता चलता है कि भारत ने उच्च स्तर का संवर्धित यूरेनियम तैयार किया है। ऐसा आकलन है कि भारत ने परमाणु हथियारों के लिए 100-200 किलोग्राम वेपन-ग्रेड यूरेनियम तैयार किया है। निश्चित तौर पर यह अनुमान काफी अस्पष्ट है।’ भारत के परमाणु हथियारों से संबंधित थिंकटैंक का यह आकलन साल 2014 के आखिर तक का है।
वैसे हाल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के परमाणु हथियारों का जखीरा उसके पड़ोसी पाकिस्तान से बहुत कम है।