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नेपाल में नया संविधान लागू, हिंसक झड़पों का सिलसिला तेज

नेपाल में सात वर्षों की सियासी कशमकश के बाद तैयार एेतिहासिक संविधान लागू हो गया है। इसके साथ ही नेपाल एक हिंदू राजशाही से पूरी तरह धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणतंत्र में परिवर्तित हो गया। लेकिन इसका विरोध करते हुए मधेसी समूह कई जगह हिंसक प्रदर्शन कर रहे हैं जिसमें एक व्‍यक्ति के मारे जाने और दर्जनों लोगों के घायल होने की खबर है। स्थिति पर काबू पाने के लिए 14 जिलों में कर्फ्यू लगाया गया है।
नेपाल में नया संविधान लागू, हिंसक झड़पों का सिलसिला तेज

नेपाल के राष्ट्रपति राम बरन यादव ने रविवार को संसद में संविधान को जारी करते हुए कहा, मैं संविधान सभा द्वारा पारित और संविधान सभा द्वारा अधिप्रमाणित नेपाल के इस संविधान को आज 20 सितम्बर 2015 से लागू किये जाने की घोषणा करता हूं। संविधानसभा के कुल 601 सदस्यों में से 85 प्रतिशत ने नए संविधान का अनुमोदन किया है। नए संविधान के तहत दो सदनीय संसद का प्रावधान किया गया है। संसद के निचले सदन में 375 सदस्य होंगे जबकि ऊपरी सदन में 60 सदस्य होंगे। उन्होंने उम्मीद जताई कि संविधान लागू होने से देश में शांति और स्थिरता आयेगी और आर्थिक विकास एवं समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होगा।

नए संविधान के अनुसार, एक वर्ष के भीतर नेपाल को सात प्रांतों में बांटा जाएगा। मधेसी समूह नेपाल को संघीय स्वरूप दिये जाने के मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इस मुद्दे को लेकर हुई हिंसा में कम से कम 40 व्यक्तियों की मौत हो चुकी है। नया संविधान घोषित किये जाने के साथ ही दक्षिण नेपाल के जिलों से विरोध प्रदर्शन और तोड़फोड़ की खबरें मिलने लगीं थीं। बिराटनगर, बीरगंज, धारन और सरलाही में हिंसक झड़पें हुई हैं। सिराहा में मधेसी फ्रंट के कार्यकर्ताओं ने एक नेपाली कांग्रेस सांसद का घर जला दिया। बीरगंज में एक व्यक्ति पुलिस गोलीबारी में मारा गया जबकि प्रदर्शनकारियों ने सीपीएन-यूएमएल सांसद के घर में तोड़फोड़ की।

नेपाल के राजशाही से एक धर्मनिरपेक्ष, संघीय लोकतंत्र के रूप में परिवर्तित होने की खुशी मनाने के लिए कल हजारों लोग काठमांडो में सड़कों पर उतर आये। इस मौके पर राष्टीय ध्वज लहराये गए और पटाखे छोड़े गए। देश में करीब 67 वर्ष तक चले लोकतांत्रिाक संघर्ष के बाद निर्वाचित प्रतिनिधियों ने संविधान तैयार किया। इसके साथ ही अंतरिम संविधान को रद्द कर दिया गया। 

लेकिन मधेसी और दक्षिणी नेपाल और कुछ पश्चिमी जिलों में थारू जातीय समुदाय नए संविधान के खिलाफ हैं क्योंकि उनका मानना है कि यह मधेसी और थारू जातीय समुदायों की ओर से उठायी गई चिंताओं का समाधान करने के असफल रहा। भारत ने नेपाल में जारी हिंसा को लेकर चिंता जताई है। भारत ने विदेश सचिव एस. जयशंकर को प्रधानमंत्राी नरेंद्र मोदी के दूत के तौर पर नेपाल भेजा गया है ताकि नेपाली नेतृत्व से आग्रह किया जा सके कि वह सभी पक्षों की चिंताओं का समाधान करे। जयशंकर ने कल कहा था कि संविधान लागू होना खुशी का मौका होना चाहिए हिंसा का नहीं। कल नेपाल के प्रधानमंत्री सुशील कोइराला ने आंदोलनकारी मधेसी और थारू समूहों से अपील की थी कि वे अपना आंदोलन वापस ले लें और बातचीत के लिए आगे आएं। उन्होंने कहा था कि सभी समस्याओं का हल समभुाौते और साथ काम करके किया जा सकता है।

 

 

 

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