हमले में बचे छात्रों ने बताया कि यूनिवर्सिटी में जैसे ही गोलीबारी की आवाज सुनाई दी, उनके केमिस्ट्री के असिस्टेंट प्रोफेसर ने उन्हें तुरंत सावधान करते हुए किसी को भी इमारत से बाहर जाने से मना कर दिया। बच्चों ने बताया कि साहसिक कदम उठाते हुए रसायनशास्त्र के प्रोफेसर सैयद हामिद हुसैन ने विश्वविद्यालय पर हमले के दौरान विद्यार्थियों को बचाने की कोशिश में अपनी लाइसेंसी पिस्तौल से सशस्त्र तालिबान आतंवादियों से लोहा लिया। मुकाबला करते हुए प्रोफेसर अंतत: आतंकियों की गोली का शिकार हो गए जिससे उनकी जान चली गई। पाकिस्तान के अशांत खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत में स्थित विश्वविद्यालय में हुए हादसे में प्रोफेसर समेत 24 अन्य लोगों की मौत हो गई।
भूगर्भ विज्ञान के विद्यार्थी जहूर अहमद ने कहा कि उसके रसायनशास्त्र के व्याख्याता ने गोलियों की पहली आवाज पर उसे भवन से नहीं जाने की चेतावनी दी। अहमद ने कहा, वह अपने हाथ में पिस्तौल लिए हुए थे। तब मैंने देखा कि उन्हें एक गोली लगी। मैंने देखा कि दो आतंकवादी गोलियां चला रहे थे। मैं अंदर गया और पीछे की दीवार लांघकर भागने में कामयाब रहा। एक अन्य छात्र ने टीवी संवाददाताओं को बताया कि जब उन्हें गोलियों की आवाज सुनाई दी तब वह कक्षा में थे। उसने कहा, हमने तीन आतंकवादियों को नारे लगाते और सीढि़यों से हमारे विभाग की ओर आते हुए देखा। उसने बताया कि उसने रसायनशास्त्र के प्रोफेसर हुसैन को हाथ में पिस्तौल लिए हमलावरों पर गोली चलाते हुए देखा। उसने बताया, फिर थोड़ी देर में हमने उन्हें जमीन पर गिरा पड़ा देखा और तब तक आतंकवादी रजिस्ट्रार कार्यालय में पहुंच गए थे। हम वहां से भाग गए।
राष्ट्रपति ममनून हुसैन ने मरने वालों में हामिद के होने की पुष्टि की है और उनकी मौत पर शोक प्रकट किया है। इस खबर पर सोशल मीडिया से लेकर चारों ओर चर्चा है लोग प्रोफेसर सैयद हामिद हुसैन के साहस और कुर्बानी की तारीफ कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी लोगों ने प्रोफेसर को शहीद बताते हुए शोक प्रकट किया।
(एजेंसी इनपुट)