कैदियों को अटक, मियांवाली, सरगोधा और रावलपिंडी में आज सुबह फांसी दी गई। वर्ष 1910 में स्थापना के 105 साल बाद पहली बार सरगोधा सेंट्रल जेल में किसी कैदी को फांसी की सजा दी गई। कैदी मोहम्मद रियाज को जेल में फांसी पर चढ़ाया गया। वर्ष 2000 में लूटपाट के एक मामले में एक व्यक्ति की हत्या के जुर्म में दोषी रियाज को आतंकवाद विरोधी अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी।
निजी दुश्मनी को लेकर एक व्यक्ति की हत्या करने के जुर्म में दोषी मोहम्मद आमीन नाम के कैदी को राजधानी इस्लामाबाद के पास अडियाला जेल, रावलपिंडी में फांसी दी गई। दो व्यक्तियों की हत्या के जुर्म में दोषी एक अन्य कैदी हुब्दार शाह को मियांवाली सेंट्रल जेल में फांसी हुई। बच्ची (तीन) को अगवा करने के जुर्म में दोषी अकरमूल हक को अटक जेल में फांसी हुई। पिछले साल दिसंबर में पेशावर के एक सैन्य स्कूल पर तालिबानी हमले के बाद पाकिस्तान की ओर से मौत की सजा पर रोक हटाए जाने के बाद 62 लोगों को फांसी दी जा चुकी है। हमले में 150 से ज्यादा लोगों की मौत हुई जिनमें अधिकतर स्कूली छात्र थे। देश में मौत की सजा पाए कैदियों की संख्या 8,000 से भी ज्यादा है। संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ, एमनेस्टी इंटरनेशनल और मानवाधिकार निगरानी जैसी संस्थाओं ने पाकिस्तान सरकार से मौत की सजा पर रोक को फिर से लागू करने का आग्रह किया है।