गौरतलब है कि अमेरिका लंबे समय से अफगानिस्तान में शांति के लिए प्रयासरत है मगर पाकिस्तान समर्थित और प्रायोजित तालिबान आतंकी वहां शांति नहीं होने दे रहे हैं। अमेरिका लगातार प्रयास कर रहा है कि पाकिस्तान तालिबान को समर्थन देना बंद कर दे मगर उसकी कोशिश कामयाब नहीं हो रही है। पाकिस्तान सरकार चोरी-छिपे तालिबान को समर्थन देने में जुटी है। नवाज शरीफ के विशेष दूत सीनेटर मुशाहिद हुसैन सैय्यद ने शुक्रवार को वाशिंगटन में कहा- 'कश्मीर मुद्दा हल होने पर ही अफगानिस्तान में शांति आ सकती है। इसका हल दोनों देशों के लिए जरूरी है। इस मुद्दे को खेमों में नहीं बांटा जा सकता।' दूसरी ओर, अमेरिका ने कहा है कि कश्मीर विवाद खत्म करने के लिए भारत-पाक के बीच ऐसी बातचीत होनी चाहिए जिसका कोई नतीजा निकले।
सीनेटर मुशाहिद हुसैन ने कहा- 'काबुल में शांति की सड़क कश्मीर से होकर जाती है। जब आप शांति की बात करते हैं तो इसे खेमों में नहीं बांटा जा सकता। आप एक हिस्से को इससे अलग नहीं कर सकते। ऐसा कैसे हो सकता है कि काबुल में शांति हो और कश्मीर जलता रहे?' मुशाहिद हुसैन पाकिस्तान सीनेट के डिफेंस एंड डिफेंस प्रोडक्शन कमेटी के चेयरमैन हैं। उन्होंने कहा- अमेरिका को एक बड़े शांति समझौते की बात करनी चाहिए। दक्षिण एशिया के लोगों को पुरानी दुश्मनी का बंधक नहीं बनाया जा सकता। मुशाहिद हुसैन ने वॉशिंगटन के थिंक टैंक स्टिम्सन सेंटर से बातचीत में यह कहा।
दूसरी ओर अमेरिका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा- 'कश्मीर के मुद्दे पर अमेरिका का रुख नहीं बदला है और हमारा अब भी यही कहना है कि भारत और पाकिस्तान इस समस्या को निपटाएं। हम चाहते हैं कि कश्मीर मुद्दे पर दोनों पक्षों के बीच काम हो ताकि बातचीत हो और मौजूदा तनाव कम हो। दोनों देशों के बीच के इस मुद्दे को सुलझाने के लिए द्विपक्षीय और सार्थक बातचीत हो।'
इस बीच अमेरिका ने यह भी कहा है कि वह पाकिस्तान को आतंकी राष्ट्र घोषित करने की मांग के समर्थन में नहीं हैं, लेकिन आतंकियों के सुरक्षित ठिकानों के खात्मे के लिए क्षेत्र की सरकारों के साथ काम करते रहेंगे जिनसे कि भारत को भी खतरा है। (एजेंसी)