श्रीलंका में जारी राजनीतिक संकट के बीच नवनियुक्त पीएम महिंदा राजपक्षे के पुत्र और विधानमंडल के सदस्य नमल राजपक्षे ने संकेत दिए हैं कि लंबे समय से अटकी तमिल कैदियों की रिहाई की मांग पर विचार किया जा सकता है और उन्हें रिहा किया जा सकता है।
नमल राजपक्षे ने एक ट्विट किया जिसमें उन्होंने लिखा "राष्ट्रपति सिरिसेना और प्रधानमंत्री राजपक्षे जल्द ही इस मसले पर निर्णय लेने वाले हैं।" नमल ने यह ट्विट तमिल भाषा में ही किया है।
माना जा रहा है कि संसद में तमिल सदस्यों के वोट पाने के लिए प्रधानमंत्री राजपक्षे द्वारा यह घोषणा करवाई गई है।
गौरतलब है कि तीन दशक चले तमिल संघर्ष का साल 2003 को वहां की सेना के जरिए दबा दिया गया था। इस संघर्ष में तमिल समुदाय के लोग अलग तमिल राज्य बनाए जाने की मांग कर रहे थे जिसमें वेलुपिल्लई प्रभाकरण के नेतृत्व में लिट्टे नामक आंतकी संगठन सबसे प्रमुख था। प्रभाकरण की मौत के बाद से ही इस संघर्ष को खत्म माना जाता है। उस वक्त महिंदा राजपक्षे श्रीलंका के राष्ट्रपति थे और अंतरराष्ट्रीय जगत में उन पर तमिलों पर अत्याचार और मानवाधिकार हनन के आरोप लगे थे। हालांकि राजपक्षे ने तब स्पष्ट किया था कि उनका यह युद्ध तमिलों के विरुद्ध नहीं है बल्कि आंतक के विरुद्ध है।
उस समय से श्रीलंकाई सरकार हमेशा से कहती रही है कि जेलों में बंद लिट्टे के सदस्य राजनीतिक कैदी नहीं हैं। जबकि तमिल समुदाय का कहना है कि बिना किसी चार्ज के बहुत बड़ी संख्या में लंबे समय से तमिल लोगों को कैदी बनाकर रखा गया है।
नमल की टिप्पणी से माना जा रहा है कि 225 सद्स्यीय विधायिका में राजपक्षे को तमिल नेशनल अलायंस (टीएनए) का समर्थन दिलाने के लिए यह सब किया जा रहा है। बर्खास्त प्रधानमंत्री रनिल विक्रमसिंघे के पास 103 सांसदों का समर्थन हासिल है जबकि 100 सांसद राजपक्षे का समर्थन कर रहे हैं। शेष बचे हुए 22 में से टीएनए के सांसद अभी राजपक्षे का विरोध कर रहे हैं।
विक्रमसिंघे को हटाकर राजपक्षे को पीएम नियुक्त किया था
आपको बता दें कि श्रीलंका में तेजी से बदलते राजनीतिक घटनाक्रम में राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना ने प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को बर्खास्त कर दिया था और उनकी जगह और महिंदा राजपक्षे को नया प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया था। महिंदा राजपक्षे श्रीलंका के दो बार राष्ट्रपति रह चुके हैं। इसके एक दिन बाद राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने शनिवार को संसद 16 नवंबर तक निलंबित कर दी थी। जबकि विक्रमसिंघे बहुमत साबित करने के लिए संसद सत्र बुलाने की मांग कर रहे थे।
इसके बाद एक नवंबर को राष्ट्रपति सिरिसेना से संसद पर से निलंबन हटा लिया था और देश में चल रहे मौजूदा गतिरोध को समाप्त करने के लिये सोमवार को विधायिका की बैठक बुलाई है। सिरिसेना ने 16 नवंबर तक के लिए संसद का निलंबन कर दिया था।