चीन में बढ़ते मानवाधिकार उल्ल्ंघन के मामले पर चिंता प्रकट करते हुए दुनिया भर के सौ से ज्यादा लेखकों के हस्ताक्षर वाला पत्र राष्ट्रपति शी चिनफिंग को भेजा गया है। पत्र के माध्यम से ग्लोबल राइटर्स ग्रुप ने चीन में मानवाधिकार उल्लंघन को तत्काल रोकने की अपील की है। शी के 2012 में सत्ता संभालने के बाद से कई असहमत लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। उनके सत्ता में आने के बाद सैंकड़ों वकीलों, कार्यकर्ताओं और शिक्षाविदों को हिरासत में लिया गया और दर्जनों को जेल में डाल दिया गया। चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी विरोध बर्दाश्त नहीं करती है। अखबारों, वेबसाइटों, प्रिंट मीडिया समेत अन्य प्रसारणकर्ताओं पर सरकार का कड़ा नियंत्रण है। सोशल मीडिया पर कड़ी निगरानी होती है कई तरह के प्रतिबंध समेत कई पश्चिमी न्यूज वेबसाइटों पर भी यहां रोक है।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की वकालत करने वाले लंदन के पेन इंटरनेशल राइटर्स एसोसिएशन द्वारा तैयार किए गए इस पत्र में कहा गया है, चीन समेत पूरी दुनिया इस तरह के विचारों और आवाजों से समृद्ध होगी। पत्र में लिखा गया है, हम चीन के प्रशासन से स्वतंत्र विचार रखने और उन्हें अभिव्यक्त करने के अपराध में जेल में बंद या घरों में नजरबंद किए गए लेखकों, कार्यकर्ताओं और पत्रकारों को रिहा करने की अपील करते हैं। इस पत्र पर सलमान रश्दी, मार्गरेट एटवुड और नोबेल पुरस्कार विजेता जीएम काॅटजी समेत कई बड़े लेखकों के हस्ताक्षर हैं। पत्र में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित लू जायाबो का भी जिक्र है, जो अस्थिरता फैलाने के आरोप में 11 साल की सजा काट रहे हैंं और उनकी पत्नी लू जिया को नजरबंद रखा गया है।