देश में बड़े पैमाने पर चल रही आर्थिक उथल-पुथल के बीच श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं। 76 वर्षीय राजपक्षे को अपने ही पार्टी के भीतर से इस्तीफा देने का भारी दबाव है।
महिंदा के छोटे भाई, राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे उनका इस्तीफा चाहते थे लेकिन उन्होंने सीधे तौर पर अपनी इच्छा कभी व्यक्त नहीं की थी। सूत्रों ने कहा कि राष्ट्रपति चाहते थे कि वो इस्तीफा दें जिससे एक व्यापक राष्ट्रीय एकता की सरकार बन सके और वर्तमान आर्थिक संकट से निपटने में कुछ मदद मिल सके।
वहीं, सत्तारूढ़ गठबंधन के असंतुष्ट नेता दयासिरी जयशेखर ने कहा, "वह सीधे इस्तीफे की पेशकश नहीं कर सकते हैं।" जयशेखर ने आगे कहा, "मुझे लगता है कि वह कहेंगे कि वर्तमान संकट के लिए मेरी कोई जिम्मेदारी नहीं है, इसलिए मेरे इस्तीफा देने का कोई कारण नहीं है।"
उन्होंने कहा कि वह गेंद को गोटाबाया राजपक्षे के कोर्ट पर डाल देंगे कि आप चाहें तो मुझे बर्खास्त कर दें। गौरतलब है कि बढ़ते दबाव के बावजूद, 76 वर्षीय प्रधान मंत्री महिंदा ने पद छोड़ने से इनकार कर दिया है।
राजपक्षे कबीले के ताकतवर नेता महिंदा राजपक्षे को रविवार को पवित्र शहर अनुराधापुर में सार्वजनिक क्रोध का सामना करना पड़ा। ईंधन, रसोई गैस और बिजली कटौती को समाप्त करने की मांग को लेकर सड़कों पर उतरी गुस्साई जनता ने उनके सामने विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी चाहते हैं कि पूरा राजपक्षे परिवार राजनीति छोड़ दे।
बता दें कि शक्तिशाली बौद्ध पादरियों ने भी अंतरिम सरकार का मार्ग प्रशस्त करने के लिए प्रधान मंत्री और मंत्रिमंडल के ऊपर इस्तीफे का दबाव डाला है।