कनाडा में प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के नेतृत्व वाली लिबरल पार्टी ने सोमवार को हुए आम चुनाव में अप्रत्याशित जीत दर्ज की है और सरकार बनाने की स्थिति में पहुंच गई है। चुनावी शुरुआत में लिबरल पार्टी पिछड़ती दिख रही थी, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विवादास्पद बयानों ने चुनाव की दिशा ही बदल दी।
ट्रंप द्वारा कनाडा को अमेरिका का "51वां राज्य" बताए जाने और उसकी अर्थव्यवस्था पर की गई तीखी टिप्पणियों ने कनाडाई मतदाताओं की राष्ट्रीय भावना को झकझोर दिया। इसके चलते जनता में व्यापक आक्रोश पैदा हुआ और लिबरल पार्टी को अप्रत्याशित जनसमर्थन मिला।
चुनाव परिणामों के अनुसार, लिबरल पार्टी को कंजरवेटिव पार्टी से अधिक सीटें मिली हैं। हालांकि वह स्पष्ट बहुमत के करीब है या नहीं, यह अंतिम गणना के बाद ही साफ होगा। बावजूद इसके, सीटों की बढ़त ने सरकार गठन की उसकी संभावनाएं मजबूत कर दी हैं।
कुछ महीने पहले तक लिबरल पार्टी बेहद कमजोर स्थिति में थी। लेकिन जैसे-जैसे ट्रंप के बयान सामने आए, वैचारिक ध्रुवीकरण बढ़ा और लिबरल पार्टी को इसका सीधा लाभ मिला। लिबरल पार्टी के पूर्व न्याय मंत्री डेविड लामेत्ती ने कहा, “दिसंबर में हमारी हालत बेहद खराब थी। लेकिन अब हम नई सरकार बनाने को तैयार हैं। यह सब मार्क कार्नी की रणनीति का ही परिणाम है।”
दूसरी ओर, कंजरवेटिव पार्टी के नेता पियरे पोइलिएवर ने इस चुनाव को पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के खिलाफ जनादेश में बदलने की कोशिश की। ट्रूडो के लगभग एक दशक लंबे कार्यकाल को महंगाई, आवास संकट और खाद्य महंगाई जैसे मुद्दों से जोड़ते हुए उन्होंने मतदाताओं को लुभाने की कोशिश की।
हालांकि, पोइलिएवर का ट्रंप के प्रति नरम रुख उनके लिए नुकसानदायक साबित हुआ। उन्होंने मतदान समाप्त होने से कुछ घंटे पहले सोशल मीडिया पर लिखा, “राष्ट्रपति ट्रंप, हमारे चुनाव में हस्तक्षेप न करें। केवल कनाडाई मतदाता ही देश का भविष्य तय करेंगे।”
यह चुनाव ऐसे समय में हुआ जब देश हाल ही में वैंकूवर के एक स्ट्रीट फेयर में हुई हिंसक घटना से उबर रहा था। इस हमले के बाद सभी प्रमुख दलों ने कुछ समय के लिए अपना प्रचार रोक दिया था। पुलिस ने इसे आतंकी घटना न मानते हुए हमलावर को मानसिक रूप से अस्वस्थ स्थानीय नागरिक बताया है।