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यूएन ने बांग्लादेश चुनाव में हिंसा की खबरों पर चिंता जताई, अमेरिका भी नाखुश!

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी के चुनाव जीतने के एक दिन बाद अमेरिका और संयुक्त...
यूएन ने बांग्लादेश चुनाव में हिंसा की खबरों पर चिंता जताई, अमेरिका भी नाखुश!

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी के चुनाव जीतने के एक दिन बाद अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र ने चुनाव के दिन हिंसा और अनियमितताओं की खबरों पर चिंता व्यक्त की। इसके साथ अमेरिका ने कहा कि चुनाव स्वतंत्र या निष्पक्ष नहीं थे और मतदान में सभी दलों के हिस्सा नहीं लेने पर उन्होंने अफसोस भी जताया।

अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने सोमवार को एक बयान में कहा, ‘‘अमेरिका अन्य पर्यवेक्षकों के साथ यह बात साझा करना चाहता है कि ये चुनाव स्वतंत्र या निष्पक्ष नहीं थे और हमें अफसोस है कि सभी दलों ने चुनाव में हिस्सा नहीं लिया।’’

यह देखते हुए कि हसीना की पार्टी अवामी लीग ने सात जनवरी के आम चुनाव में अधिकांश सीटें जीत लीं, विदेश मंत्रालय ने कहा कि वाशिंगटन चुनाव के दौरान और उससे पहले के महीनों में हुई हिंसा की निंदा करता है।

उसने कहा, ‘‘बांग्लादेश सरकार को हिंसा की खबरों की विश्वसनीय जांच और दोषियों को जवाबदेह ठहराने के लिए उचित कदम उठाना चाहिए। हम सभी राजनीतिक दलों से हिंसा से दूर रहने का आग्रह करते हैं।’’

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर टर्क ने बांग्लादेश की नवनिर्वाचित सरकार से लोकतंत्र और मानवाधिकारों के प्रति देश की प्रतिबद्धता को मजबूत करने के लिए कदम उठाने का आह्वान किया।

इसके साथ ही उन्होंने इस बात पर दुख व्यक्त किया कि रविवार को मतदान प्रक्रिया के दौरान विपक्षी उम्मीदवारों और समर्थकों की ओर से की गई हिंसा के कारण माहौल खराब हो गया। टर्क ने कहा, ‘‘मतदान से पहले के महीनों में हजारों विपक्षी दलों के समर्थकों को मनमाने ढंग से हिरासत में लिया गया है या धमकाया गया। ऐसी युक्तियां वास्तव में निष्पक्ष प्रक्रिया के लिए अनुकूल नहीं हैं।’’

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार के शीर्ष अधिकारी ने कहा कि बांग्लादेश में ‘‘बेहद मश्किलों के बाद’’ लोकतंत्र कायम हुआ था और ‘‘ ये दिखावटी नहीं बनना चाहिए।’’ यह रेखांकित करते हुए कि बांग्लादेश विकास के मामले में दूसरे के लिए प्रेरणा देता रहा है, टर्क ने कहा कि उन्हें ‘‘पूरी उम्मीद है कि यह राजनीतिक और संस्थागत क्षेत्रों में भी लागू होगा। सभी बांग्लादेशियों का भविष्य दांव पर है।’’

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