संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में भारत के स्थायी मिशन के काउंसलर प्रतीक माथुर ने संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष बैठक में कहा, "भारत ने हमेशा सीरिया में हिंसा के कृत्यों के साथ-साथ मानवाधिकार कानून के उल्लंघन की निंदा की है, भले ही उनके अपराधी कोई भी हों।"
सीरिया में जवाबदेही पर यूएनएससी अररिया-फॉर्मूला बैठक में प्रतीक माथुर ने आगे कहा कि भारत ये दृणता से विश्वास करता है कि सीरिया में लॉन्ग-टर्म सुरक्षा और स्थिरता केवल क्षेत्रीय सम्प्रभुता और अखंडता की रक्षा करने के बाद ही आ सकता है।
संयुक्त राष्ट्र द्वारा आयोजित यह बैठक सीरिया में लंबे समय से चले आ रहे प्रचलित दंड-मुक्ति, युद्ध अपराधों और मानवता के खिलाफ अपराधों जैसे मुद्दों को हाइलाइट करने के लिए किया गया था।
यूएनएससी के सदस्य एस्टोनिया, फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका, अडिशनल को-स्पॉन्सर के साथ बेल्जियम, कनाडा, जर्मनी, जॉर्जिया, लिकटेंस्टीन, नीदरलैंड्स, कतर, स्वीडन और तुर्की ने भी इस मुद्दे पर बैठक आयोजित की।
बैठक में प्रतिक माथुर ने कहा कि सीरिया में बार-बार रिजीम का बदलना और सशस्त्र समूहों को बाहरी सपोर्ट ने स्तिथि को और जटिल बना दिया है, जिससे परिणामस्वरूप आतंकवाद का विकास हो रहा है।
बैठक में सीरिया में जवाबदेही पर सुरक्षा परिषद में चर्चा को मजबूत करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया। संयुक्त राष्ट्र के लिए एस्टोनिया के स्थायी प्रतिनिधि स्वेन जुरगेन्सन ने कहा, "सीरिया में सशस्त्र संघर्ष ने अपने दूसरे दशक में प्रवेश कर लिया है। डेमोक्रेटिक सुधारों को लेकर शुरू हुए प्रदर्शन को सीरियाई शासन द्वारा क्रूर बल का सामना करना पड़ा। तब से, सीरियाई लोग अकल्पनीय पीड़ा से जूझ रहे हैं और अंतर्राष्ट्रीय मानवीय और मानवाधिकार कानून के उल्लंघन का भी सामना कर रहे हैं।"
स्वेन जुर्जेन्सन ने कहा कि इन अत्याचारों में साक्ष्य इकट्ठा करने और बनाए रखने के काफी प्रयास किए जाते हैं। उनके अनुसार, "यूएनएससी द्वारा निष्क्रियता सीरिया में भयानक कार्यों को जारी रखने का ईंधन देता है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद की आगामी सदस्यता (मेंबरशिप) में पीड़ितों को सुनने, चल रहे अत्याचारों को रोकने और अपराधियों के अभियोजन को सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। उनके अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की आंखों में विश्वसनीयता हासिल करने के लिए यह ज़रूरी है।