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जिबूती पहुंचे यमन में फंसे 349 भारतीय

यमन में शिया विद्रोहियों और सरकारी तथा पड़ोसी देशों की सेनाओं के बीच जबरदस्त संघर्ष के बीच वहां फंसे भारतीयों में से 349 अदन से नौसेना के एक पोत से मंगलवार देर रात जिबूती पंहुच गए। यमन के पड़ोसी देश जिबूती से उन्हें जल्द ही विमानों से मुंबई लाया जाएगा।
जिबूती पहुंचे यमन में फंसे 349 भारतीय

भारत ने यमन में फंसे अपने चार हजार से अधिक नागरिकों को वापस देश लाने के लिए बड़े पैमाने पर वायु एवं समुद्री अभियान शुरू किया है जिसे ऑपरेशन राहत का नाम दिया गया है। भारतीय अपतटीय गश्ती पोत आईएनएस सुमित्रा को अदन बंदरगाह पर खड़ा करने की मंजूरी मिलने के बाद भारतीयों को वहां से निकाला गया। यह पोत गत 11 मार्च से दस्यु विरोधी गश्ती के लिए अदन की खाड़ी में तैनात था। पोत को यमन में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए सबसे पहले यमन की ओर रवाना किया गया। पोत को 30 मार्च को अदन बंदरगाह के पास तैनात किया गया और इसके बाद यह मंगलवार शाम अदन बंदरगाह पहुंचा। अदन में भीषण लड़ाई जारी होने की वजह से पोत को स्थानीय मंजूरी के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा। नौसेना ने एक बयान में बताया कि जहाज ने 349 भारतीयों को अदन से बाहर निकाला...इन लोगों को जिबूती में उतारने के बाद, जहाज जरूरी पड़ने पर और लोगों को बाहर निकालने के लिए वापस अदन लौटेगा। भारतीय नौसेना के जहाज आईएनएस मुंबई और तरकश भी ऑपरेशन राहत में हिस्सा लेने 30 मार्च को मुंबई से निकल चुके हैं। दोनों जहाज समुद्री डाकूओं के खतरे वाले सोमालिया तट के पास के इलाके से गुजरते समय दो यात्री पोतों कवारत्ती और कोरल की हिफाजत करेंगे। दोनों यात्री पोत 30 मार्च को जिबूती जाने के लिए कोच्चि से निकले थे। जरूरत पड़ने पर दोनों जंगी जहाज यमन के बंदरगाहों से भारतीयों को निकालने के लिए उपलब्ध होंगे। यमन से निकाले गए भारतीयों को भारतीय वायुसेना के दो सी17 ग्लोबमास्टर विमानों से बुधवार को मुंबई पहुंचाया जाएगा। पहले विमान के भारतीय समयानुसार रात करीब आठ बजे मुंबई पहुंचने की उम्मीद है।

 

इस बीच, सऊदी अरब के नेतृत्व वाले गठबंधन बलों के लड़ाकू विमानों ने बुधवार को छठे दिन यमन में शिया विद्रोहियों पर धावा बोलते हुए उनके मिसाइल और हथियार नष्ट कर दिए। बलों ने साथ ही पहली बार विद्रोहियों के कब्जे वाले हवाई अड्डे और अदन शहर के पूर्वी बाहरी इलाके में जंगी पोतों से हमला किया। सुन्नी अरब देशों के हवाई हमले पिछले हफ्ते शुरू हुए थे और इनका उद्देश्य देश के बड़े हिस्से पर कब्जा कर चुके और देश के राष्ट्रपति को विदेश भागने पर मजबूर करने वाले शिया विद्रोहियों को आगे बढ़ने से रोकना है। यमन सैन्य अधिकारियों के अनुसार मंगलवार रात और बुधवार तड़के गठबंधन बलों ने राजधानी सना के आसपास ईरान समर्थित विद्रोहियों पर बमबारी की। हमलों में विद्रोहियों के ठिकानों एवं शिविरों और साथ ही उनके हथियारों के भंडारों को निशाना बनाया गया। दूसरी ओर, ईरान की सरकारी समाचार एजेंसी इरना ने बताया है कि ईरान ने एक सहायता जहाज यमन भेजने की घोषणा की है। यमन में सऊदी नेतृत्व वाले बलों का हमला शुरू होने के बाद से यह इस तरह की पहली सहायता है। जहाज में ईरानियन रेड क्रीसेंट द्वारा उपलब्ध कराई गई 19 टन दवाइयां, चिकित्सा उपकरण एवं दो टन भोजन शामिल हैं।

इस बीच पश्चिमी यमन में एक डेयरी पर मंगलवार रात की गई बमबारी में कम से कम 37 लोग मारे गए। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। प्रांतीय गवर्नर हसन अल-हय ने कहा कि होदीदा स्थित संयंत्र में 80 अन्य जख्मी हो गए। हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि कारखाने पर हवाई हमला हुआ था या विद्रोहियों ने गोले फेंके थे।

यमन में संघर्ष बढ़ने के बीच पिछले सप्ताह कम से कम 62 बच्चे मारे गए हैं और 30 अन्य घायल हुए हैं। यह जानकारी यूनिसेफ ने दी है। यमन के लिए यूनिसेफ के प्रतिनिधि जुलिएन हार्नीज ने कल कहा, बच्चों को सुरक्षा की अत्यधिक जरूरत है और संघर्ष में शामिल सभी पक्षों को बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए भरसक प्रयास करना चाहिए। यूनिसेफ ने बताया कि इस लड़ाई ने स्वास्थ्य एवं शिक्षा सेवाओं को बुरी तरह से नुकसान पहुंचाया है और यमन में बच्चों की पहले से ही खराब स्थिति और बदतर हो गई है। यमन में बच्चे खाद्य संकट एवं अत्यधिक कुपोषण से जूझ रहे हैं। यूनिसेफ ने कहा कि हिंसा से बच्चे आतंकित हैं और उनमें से अधिकतर को बाल सैनिक  के रूप में भर्ती कराया जा रहा है।

 

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