हर वर्ष होने वाले इस सम्मेलन में एशिया और अन्य देशों के प्रतिनिधि हिस्सा लेते हैं। विदेश मंत्रालय के मुताबिक दो दिवसीय इस सम्मेलन में 14 देश, 17 सहायक देश और 12 अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय संगठन हिस्सा ले रहे हैं। विदेशी मामलों पर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के सलाहकार सरताज अजीज और अफगानिस्तान के उप विदेश मंत्री हिकमत खलील करजई ने इस बैठक का उद्घाटन किया। विदेश विभाग ने बताया कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान की तरफ से संयुक्त रूप से आयोजित बैठक का विषय, 'हार्ट ऑफ एशिया - इस्तांबुल प्रोसेस: सुरक्षा चुनौतियों का मुकाबला करना और हार्ट ऑफ एशिया क्षेत्र में संपर्क को बढ़ावा देना’ है।
मुख्य और बड़े कार्यक्रम का कल आयोजन होना है जब प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी संयुक्त रूप से विदेश मंत्रियों की बैठक का उद्घाटन करेंगे। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज सहित दस देशों के विदेश मंत्री इस सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। आतंकवाद, चरमपंथ और गरीबी से निबटने के लिए अफगानिस्तान और इसके पड़ोसी देशों के बीच आर्थिक और सुरक्षा सहयोग को बढ़ाने के लिए 2011 में शुरू की गई पहल में पाकिस्तान, अफगानिस्तान, अजरबैजान, चीन, भारत, ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, सउदी अरब, ताजिकिस्तान, तुर्की, तुर्कमेनिस्तान और यूएई शामिल हैं। वर्ष 2013 में अलमाटी सम्मेलन के बाद 14 देश जिन 6 क्षेत्रों में विश्वास बहाली के उपाय बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं उनमें आपदा प्रबंधन, आतंकवाद से मुकाबला, मादक पदार्थों की तस्करी से मुकाबला, वाणिज्य एवं निवेश को बढ़ाना, क्षेत्रीय ढांचे को विस्तार और शिक्षा को बढ़ावा देना शामिल है।