प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सऊदी अरब यात्रा के करीब दो हफ्ते बाद सुषमा तेल संपन्न ईरान की यात्रा पर जा रही हैं। गौरतलब है कि ईरान की ही तरह प्रभावशाली देश सउदी अरब उसे अपना प्रतिद्वंद्वी मानता है। भारत की ऊर्जा सुरक्षा और तेल एवं गैस संसाधनों से लैस मध्य एशियाई देशों तक उसकी पहुंच आसान बनाने के मद्देनजर ईरान भारत के लिए एक महत्वपूर्ण देश है।
मोदी की रियाद यात्रा के बाद सुषमा की तेहरान यात्रा को संतुलन बनाने की कवायद के तौर पर देखा जा रहा है। मोदी की रियाद यात्रा के दौरान भारत और सऊदी अरब ने कई समझौतों पर दस्तखत किए थे। ईरान से सुषमा रूस की राजधानी मॉस्को की दो दिवसीय यात्रा पर रवाना होंगी। रूस में सुषमा आरआईसी (रूस, भारत एवं चीन) के विदेश मंत्रियों की सालाना बैठक में शामिल होंगी। आरआईसी के इतर सुषमा अपने चीनी समकक्ष वांग यी से मुलाकात कर संयुक्त राष्ट्र में जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने की भारत की कोशिशों को चीन की ओर से बाधित करने का मुद्दा उठाएंगी।
तेहरान में रविवार को सुषमा अपने ईरानी समकक्ष मोहम्मद जावेद जरीफ से वार्ता कर द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा करेंगी। विदेश मंत्री ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी से भी मुलाकात करेंगी। इससे पहले, तेल मंत्री धर्मेंद्र प्रधान नौ अप्रैल को दो दिन की तेहरान यात्रा पर गए थे।