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सीरिया में संघर्षविराम पर राजी हुए अमेरिका-रूस, शनिवार से लागू

अमेरिका और रूस ने घोषणा की है कि सीरिया में शनिवार से ऐतिहासिक संघर्ष विराम लागू होगा लेकिन इस संघर्षविराम में मुख्य जिहादी संगठन इस्लामिक स्टेट और अल नुसरा फ्रंट शामिल नहीं हैं। वाशिंगटन और मॉस्को ने सोमवार को एक संयुक्त बयान जारी कर घोषणा की कि 27 फरवरी को दमिश्क के समयानुयार मध्य रात्रि से आंशिक संघर्षविराम शुरू होगा। इससे उस संघर्ष पर विराम लगने की उम्मीद है जिसमें अब तक 2,60,000 से अधिक लोग मारे गए हैं और आधी से अधिक आबादी विस्थापित होने को मजबूर हुई है।
सीरिया में संघर्षविराम पर राजी हुए अमेरिका-रूस, शनिवार से लागू

अमेरिका और रूस ने इस संघर्ष विराम की घोषणा की है। इस फैसले में सीरिया के विपक्षी समूह ने भी अपनी रजामंदी दी है। हालांकि संघर्षविराम में मुख्य जिहादी संगठन इस्लामिक स्टेट और अल नुसरा फ्रंट शामिल नहीं हुए हैं। पांच वर्ष से चल रहे इस संघर्ष के मुख्य विपक्षी समूह ने इस घोषणा को सशर्त मंजूरी दे दी है लेकिन इस्राइल ने कहा है कि उसे इस समझौते का पालन किए जाने को लेकर संदेह है और विश्लेषकों ने सचेत किया है कि संघर्ष में किसी भी प्रकार का विराम रूस, ईरान और राष्ट्रपति बशर अल असद पर निर्भर करेगा। यह घोषणा ऐसे समय में की गई है जब एक दिन पहले दमिश्क के निकट हुए विस्फोटों की एक श्रृंखला में 134 लोगों की मौत हो गई थी। मृतकों में अधिकतर आम नागरिक हैं।

 

रूस और अमेरिका की ओर से संघर्ष विराम योजना की घोषणा किए जाने के कुछ देर बाद सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद ने एलान किया कि 13 अप्रैल को संसदीय चुनाव आयोजित कराए जाएंगे। सरकारी संवाद समिति साना ने यह जानकारी दी। असद ने कल एक आदेश जारी किया जिसमें उन्होंने सीरिया में हर प्रांत के लिए सीटों के बंटवारों का जिक्र किया। सीरिया में आखिरी बार मई 2012 में संसदीय चुनाव हुए थे। यह पहला मौका था जब केवल सत्तारूढ बाथ पार्टी ही नहीं बल्कि कई दलों को चुनाव में खड़े होने की अनुमति दी गई थी। हालांकि चार वर्ष के कार्यकाल के लिए चुने गए संसद के 250 सदस्यों में से अधिकतर सदस्य बाथ पार्टी के ही थे। उस समय असद ने तत्कालीन कृषि मंत्री रियाद हिजाब को सीरिया का नया प्रधानमंत्री घोषित किया था। हिजाब ने उसके बाद पार्टी छोड़ दी थी और अब वह सउदी अरब की राजधानी रियाद से असद के शासन के विरूद्ध मुख्य विपक्षी समूह का नेतृत्व करते हैं। मार्च 2011 से शुरू हुए सीरियाई संघर्ष के बाद से अब तक 2,60,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और लाखों लोगों को अपने घरों को छोड़ना पड़ा है।

 

इससे पहले सीरिया के प्रमुख विपक्षी समूह ने कहा कि उसने मानवीय शर्तों के पूरे होने की स्थिति में अमेरिका और रूस द्वारा घोषित संघर्षविराम समझौते को स्वीकार कर लिया है। रियाद में उच्च वार्ता समिति (एचएनसी) का यह बयान मॉस्को और वाशिंगटन की ओर से की गई घोषणा के कुछ ही घंटे बाद आया। दोनों देशों ने घोषणा में कहा था कि युद्धरत सीरिया में संघर्षविराम की शुरूआत शुक्रवार-शनिवार की रात से होगी। लेकिन संघर्षविराम के प्रति प्रतिबद्धता सशर्त है। इन शर्तों में घेराबंदी हटाना, कैदियों को छोड़ना, नागरिकों पर बमबारी रोकना और मानवीय मदद देना शामिल है। बयान में कहा गया कि संघर्षविराम की घोषणा सभी पक्षों की ओर से साथ-साथ की जानी चाहिए। बयान में एचएनसी के प्रमुख हिजाब के हवाले से कहा गया कि उन्हें इस बात को लेकर ज्यादा उम्मीदें नहीं हैं कि शासन और उसके सहयोगी अपने शत्रुतापूर्ण कृत्यों को रोकने में समर्थ होंगे। इससे पहले कल जारी एक संयुक्त बयान में अमेरिका और रूस ने कहा था कि सीरिया में जो पक्ष युद्धस्थिति खत्म करना चाहते हैं, उन्हें दमिश्क के समयानुसार दोपहर से इसे शुरू करना चाहिए।

 

वहीं इस ऐतिहासिक संघर्षविराम पर ब्रितानी विदेश मंत्री फिलीप हेमंड ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अमेरिका और रूस द्वारा घोषित सीरियाई संघर्षविराम तभी काम करेगा, जब सीरियाई शासन और रूस की ओर से व्यवहार में बड़ा बदलाव लाया जाएगा। उन्होंने कल कहा, यह तभी सफल होगा, जब सीरियाई शासन और इसके समर्थकों के व्यवहार में बड़ा बदलाव आएगा। विशेष तौर पर रूस को सीरियाई नागरिकों और नरमपंथी विपक्षी समूहों पर अपने हमले बंद करके इस समझौते का सम्मान करना चाहिए। अमेरिका और रूस ने सोमवार को शत्रुता के खात्मे की घोषणा की थी और संकेत दिया था कि यह समझौता शनिवार 27 फरवरी को लागू होगा। ब्रितानी विदेश मंत्री ने कहा कि यह समझौता सीरिया में हिंसा के भयावह स्तर को घटाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

 

 

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