आतंकी संगठन तालीबान ने अफगानिस्तान के एक शहर पर कब्जा करने का प्रयास किया जिसमें कम से कम 14 पुलिसकर्मियों के मारे जाने की खबर आई है।
हमला करने से पहले हमलावर घरों में छिपे थे और उन्होंने यह हमला रात दो बजे किया।
गजनी प्रांत की राजधानी गजनी में हुए इस हमले में शहर के एक चिकित्सक बाज मोहम्मद के अनुसार इस हमले में 20 सुरक्षाकर्मी घायल हुए।
एक दिन पहले ही एक अन्य प्रांत हेरात के ओबे जनपद में हुए हमले में कम से कम छः पुलिसकर्मी मारे गए थे। हालांकि तालिबान ने इस हमने की जिम्मेदारी नहीं ली है।
प्रांतीय पुलिस सेवा के प्रमुख फरीद अहमद मशाल ने बताया कि तालिबान के इस हमले का जवाब देने के लिए हवाई हमलों का भी सहारा लिया गया।
इस हमले के बाद पुलिस ने तालिबान लड़ाकों को पकड़ने के लिए घर-घर तलाशी अभियान चलाया।
सरकारी सुरक्षा बलों की जवाबी कार्रवाई के बाद तालीबानी लड़ाकों के दर्जनों शव गजनी से उठाए गए। इसके अलावा शहर के दक्षिणी छोर पर स्थित एक पुल से तालिबान लड़ाकों के 39 शव मिले हैं।
रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने बाताया कि शहर को फिर से सरकारी नियंत्रण में लाने के लिए पुलिस की इस कर्रवाई में सेना का भी सहयोग लिया गया।
यह हमला कितना गंभीर था इसका अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि अफगानिस्तान में मौजूद अमेरिकी रक्षाबलों को भी सहयोग करना पड़ा।
वहीं दूसरी ओर तालिबान ने दावा किया है कि हमले में गजनी के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया गया था जिसमें सैंकड़ों की संख्या में लोग मारे गए हैं।
हमले के बाद गजनी में रहने वालों में दहशत का माहौल है। यहां से गुजरने वाला मुख्य रास्ता, जो काबुल से अफगानिस्तान के दक्षिणी प्रांत को जोड़ता है, बंद कर दिया गया है।
साल 2014 में अमेरिका और नाटो द्वारा आधिकारिक रुप से अफगानिस्तान में अपना मिशन खत्म करने की घोषणा की गई थी, जिससे बाद से तालिबान ने हमले बढ़ा दिए हैं। फिलहाल अमेरिकी और नाटो रक्षा बलों द्वारा अफगानिस्तानी सुरक्षा बलों को प्रशिक्षित किया जा रहा है।
तालिबान के बाद अफगानिस्तान में अब इस्लामिक स्टेट का भी प्रभाव बढ़ रहा है। हाल के वर्षों में इस्लामिक स्टेट द्वारा अल्पसंख्यक शियाओं सहित सुरक्षाबलों पर हमले की कई खबरें आई हैं।