तुर्की के दक्षिणपूर्वी शहर के साहिंबे जिले में एक विवाह समारोह में देर रात हुए आत्मघाती हमले में 50 लोगों की मौत हो गई जबकि कई लोग घायल हैं। बताया जाता है कि इस इलाके में बड़ी तादाद में कुर्द निवासी रहते हैं और इस विवाह समारोह में कुर्द लोगों की संख्या काफी ज्यादा थी। समाचार एजेंसी दोगान ने बताया है कि दुल्हन और दूल्हा का ताल्लुक सिर्त के कुर्द क्षेत्र से है। हुर्रियत दैनिक ने कहा कि दुल्हन बसना और दूल्हा नुरेतिन अकदोगान अस्पताल में भर्ती हैं, लेकिन उनकी जान को खतरा नहीं है। कुर्दिश पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (एचडीपी) ने कहा कि उसके सदस्य इस विवाह समारोह में उपस्थित थे। आत्मघाती हमलावर मेहमानों में घुलमिल गया और फिर खुद को उड़ा लिया। सुरक्षा बल अब उन दो लोगों की तलाश कर रहे हैं जो इस हमलावर के साथ विवाह समारोह में दाखिल हुए, लेकिन भाग गए। हमले में घायल हुईं गुलसर आतेस ने बताया, हम कुर्सियों पर बैठे अपने पड़ोसियों के साथ बातचीत कर रहे थे। विस्फोट में मेरे पड़ोसी की मौत हो गई जो हमारे ऊपर गिर गया। अगर वह हमारे ऊपर नहीं गिरा होता तो मेरी भी मौत हो जाती।
तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एरदोगन ने कहा कि इस हमले में जिहादी समूह इस्लामिक स्टेट (आईएस) का हाथ हो सकता है। एक बयान में एरदोगन ने कहा है कि अमेरिका में रह रहे उपदेशक फतहुल्ला गुलेन के समूह, कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (पीकेके) और दाएश (आईएस) के बीच कोई अंतर नहीं है। एरदोगन के अनुसार, प्रतिबंधित पीकेके ने 15 जुलाई को तख्ता पलट की कोशिश की थी जो नाकाम हो गई थी। उन्होंने गाजियनटेप में हुए हमले में आईएस का हाथ होने की आशंका जताते हुए कहा हमारे देश और हमारे राष्ट्र ने एक बार फिर हमलावरों को एक ही संदेश दिया, आप सफल नहीं होंगे। एरदोगन ने कहा कि गाजियनटेप जैसे हमलों का उद्देश्य तुर्की में अरब, कुर्द और तुर्कमेन जैसे विभिन्न समूहों के बीच मतभेद पैदा करना और मूलनिवासी तथा धार्मिक आधार पर लोगों में वैमनस्य फैलाना है। उन्होंने कहा तुर्की गाजियनटेप में हमले के उकसावे में नहीं आएगा बल्कि एकता, भाईचारा और सद्भाव दिखाएगा।
तुर्की लंबे समय से कहता आ रहा है कि वह जिन विभिन्न प्रतिबंधित आतंकी समूहों से लड़ रहा है उनमें कोई अंतर नहीं है। साथ ही तुर्की ने पश्चिमी देशों से पीकेके के खिलाफ कड़ा कदम उठाने का अनुरोध भी किया है। तुर्की में हुए इस ताजा हमले ने नाटो के इस अहम सदस्य देश को हिला कर रख दिया है। बहरहाल, तुर्की के लिए यह साल बेहद भयावह रहा जहां 15 जुलाई को तख्तापलट की कोशिश के दौरान हुए रक्तपात सहित इसी साल कई हमले हुए हैं। हमलों के लिए कुर्द एवं इस्लामी आतंकवादियों को जिम्मेदार ठहराया गया है।