विश्व स्वास्थ्य संगठन के डीजी टेड्रोस एडनॉम ने कोरोना पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि वह बूस्टर डोज के खिलाफ नहीं है, बल्कि असमानता के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि हमारी प्राथमिकता हर कहीं लोगों की जान बचाना है। ओमिक्रोन संस्करण मिलने के बाद कई देशों में कोरोना बूस्टर देना शुरू कर दिया है, जबकि हमारे पास इस बात का कोई सबूत नहीं है कि नए वेरिएंट पर बूस्टर डोज का कोई प्रभाव पड़ेगा या नहीं।
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि कोई भी देश केवल वैक्सीन से ओमिक्रोन के संकट से नहीं निपट सकता। यह शुरुआत से अब तक अपनाए गए बाकी सभी उपायों से ही रोका जा सकता है। इसे जितनी जल्दी हो सके गंभीरता से लागू करना चाहिए।
अब तक लगभग 77 देश कोरोना के ओमिक्रोन के केसों की पुष्टि कर चुके हैं, जबकि असलियत में यह इससे ज्यादा देशों तक फैल गया है। भले ही इसके बारे में अब तक पता न चला हो। ओमिक्रोन उस दर तक फैल रहा है, जिसे हमने पिछले वेरिएंट के साथ नहीं देखा।
डब्ल्यूएचओ के अनुसार अभी भी 41 देश अपनी आबादी के 10 प्रतिशत का वैक्सीनेशन नहीं कर पाए हैं। 98 देशों में यह 48 प्रतिशत तक पहुंचा है। हम एक ही देश में जनसंख्या समूहों के बीच महत्वपूर्ण असमानताओं को देख रहे हैं।
उन्होंने कहा कि गंभीर बीमारी या मृत्यु के कम रिस्क वालों को बूस्टर डोज देना अधिक रिस्क वाले लोगों के जीवन को खतरे में डालता है, जो अभी भी आपूर्ति की कमी के कारण अपनी पहली डोज की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
डब्ल्यूएचओ के डीजी ने कहा कि हमें चिंता है कि बहुत से लोग ओमिक्रोन को हल्का वायरस हल्का वायरस मान रहे हैं। हमने अब तक यह जान लिया है कि हम इस वायरस को कम आंकते हैं। दिनों दिन बढ़ते मामलों की संख्या दोबारा हेल्थ सिस्टम को प्रभावित कर सकती है।