जिस उम्र में ज्यादातर लोग काम से अवकाश ले लेते हैं, उस 68 वर्ष की उम्र में एक महिला कलाकार लोक कला को बढ़ावा देने के लिए जूझ रही है। राजस्थान के शहर बारन की रहनेवाली यह महिला मांडना नाम की एक ऐसी कला को संरक्षण देने का काम कर रही है जिसमें लाल सतह पर सफेद चॉक से चित्र बनाए जाते हैं।
एक गरिमामय समारोह में डॉ. सुनीता जैन को उनकी कृति क्षमा के लिए 25वां व्यास सम्मान प्रदान किया गया। डॉ. जैन ने क्षमा के माध्यम से तुलसीदास-रत्नावली के संबंधों का मार्मिक वर्णन किया है।
देश की आजादी के समय 1947 में हुए विभाजन के बाद परिवार के पाकिस्तान चले जाने के बावजूद मशहूर चित्रकार सैयद हैदर रजा ने भारत में ही रहने का फैसला किया था। उनके इस फैसले के पीछे उनकी मातृभूमि के प्रति वफादारी तो थी ही, लेकिन इसकी एक वजह महात्मा गांधी के प्रति उनका लगाव भी था।
कर्नाटक संगीत की प्रसिद्ध भारतीय कलाकार, एम एस सुब्बुलक्ष्मी की जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में संयुक्त राष्ट्र उनके सम्मान में एक डाक टिकट जारी करेगा। यह टिकट 15 अगस्त को जारी होगा। इस दिन भारत का 70वां स्वतंत्रता दिवस भी है।
अगर कोई छोटा बच्चा अपनी नन्हीं ऊंगलियों से तबलेे की बेहतरीन ताक धिना धिन ताल एक लय में बिखेरने लगे तो उसका हर कोई फैन हो जाएगा। दिल्ली के कुमार मंगलम वर्ल्ड स्कूल विकासपुरी के कक्षा पांचवी के छात्र 9 साल के अभिवंदन विज इन दिनों अपने तबले के हुनर से लाखों लोगों के दिलों पर राज कर रहे हैं।
सन 2016 के लिए कुसुमांजलि साहित्य सम्मान हिंदी और मलयालम भाषा के लिए क्रमशः डॉ. कुसुम खेमानी और एम पी वीरेंद्र कुमार को दिया गया। डॉ. खेमानी को यह पुरस्कार उनके उपन्यास लावण्य देवी और वीरेंद्र कुमार को उनके यात्रा वृत्तांत डेन्यूब साक्षी के लिए दिया गया।
हर साल की तरह इस साल भी हंस की सालाना गोष्ठी दिल्ली के एवाने गालिब सभागार में हुई। प्रेमचंद जयंती पर होने वाली गोष्ठी में इस बार का विषय था, लोकतंत्र और राष्ट्रवाद में मीडिया की भूमिका।
सुपरिचित कथाकार। बाल साहित्य पर भी बहुत काम और बच्चों के लिए कई कहानी पुस्तकें प्रकाशित। मोबाइल, लड़की जो देखती पलटकर, नेम प्लेट चर्चित कहानी संग्रह। कई पुरस्कार एवं सम्मान। अखबारों में सामयिक मुद्दों पर लगातार लेखन।