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कला-संस्कृति

सुनीता जैन को व्यास सम्मान

सुनीता जैन को व्यास सम्मान

एक गरिमामय समारोह में डॉ. सुनीता जैन को उनकी कृति क्षमा के लिए 25वां व्यास सम्मान प्रदान किया गया। डॉ. जैन ने क्षमा के माध्यम से तुलसीदास-रत्नावली के संबंधों का मार्मिक वर्णन किया है।
विभाजन के बाद महात्मा गांधी के कारण एस एच रजा ने भारत नहीं छोड़ा था

विभाजन के बाद महात्मा गांधी के कारण एस एच रजा ने भारत नहीं छोड़ा था

देश की आजादी के समय 1947 में हुए विभाजन के बाद परिवार के पाकिस्तान चले जाने के बावजूद मशहूर चित्रकार सैयद हैदर रजा ने भारत में ही रहने का फैसला किया था। उनके इस फैसले के पीछे उनकी मातृभूमि के प्रति वफादारी तो थी ही, लेकिन इसकी एक वजह महात्मा गांधी के प्रति उनका लगाव भी था।
संयुक्त राष्ट्र जारी करेगा सुब्बुलक्ष्मी पर डाक टिकट

संयुक्त राष्ट्र जारी करेगा सुब्बुलक्ष्मी पर डाक टिकट

कर्नाटक संगीत की प्रसिद्ध भारतीय कलाकार, एम एस सुब्बुलक्ष्मी की जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में संयुक्त राष्ट्र उनके सम्मान में एक डाक टिकट जारी करेगा। यह टिकट 15 अगस्त को जारी होगा। इस दिन भारत का 70वां स्वतंत्रता दिवस भी है।
उम्र महज 9 साल पर इनकी ताक धिना धिन का कोई सानी नहीं

उम्र महज 9 साल पर इनकी ताक धिना धिन का कोई सानी नहीं

अगर कोई छोटा बच्‍चा अपनी नन्‍हीं ऊंगलियों से तबलेे की बेहतरीन ताक धिना धिन ताल एक लय में बिखेरने लगे तो उसका हर कोई फैन हो जाएगा। दिल्‍ली के कुमार मंगलम वर्ल्‍ड स्‍कूल विकासपुरी के कक्षा पांचवी के छात्र 9 साल के अभिवंदन विज इन दिनों अपने तबले के हुनर से लाखों लोगों के दिलों पर राज कर रहे हैं।
कुसुमांजलि पुरस्कार कुसुम खेमानी को

कुसुमांजलि पुरस्कार कुसुम खेमानी को

सन 2016 के लिए कुसुमांजलि साहित्य सम्मान हिंदी और मलयालम भाषा के लिए क्रमशः डॉ. कुसुम खेमानी और एम पी वीरेंद्र कुमार को दिया गया। डॉ. खेमानी को यह पुरस्कार उनके उपन्यास लावण्य देवी और वीरेंद्र कुमार को उनके यात्रा वृत्तांत डेन्यूब साक्षी के लिए दिया गया।
हंस सालाना गोष्ठी

हंस सालाना गोष्ठी

हर साल की तरह इस साल भी हंस की सालाना गोष्ठी दिल्ली के एवाने गालिब सभागार में हुई। प्रेमचंद जयंती पर होने वाली गोष्ठी में इस बार का विषय था, लोकतंत्र और राष्ट्रवाद में मीडिया की भूमिका।
मानवीय भावनाओं की कहानी - मंगलसूत्र

मानवीय भावनाओं की कहानी - मंगलसूत्र

सुपरिचित कथाकार। बाल साहित्य पर भी बहुत काम और बच्चों के लिए कई कहानी पुस्तकें प्रकाशित। मोबाइल, लड़की जो देखती पलटकर, नेम प्लेट चर्चित कहानी संग्रह। कई पुरस्कार एवं सम्मान। अखबारों में सामयिक मुद्दों पर लगातार लेखन।
नामवर सिंह के जन्मदिन समारोह में आया, अब कोई असहिष्णु नहीं कहेगा – राजनाथ

नामवर सिंह के जन्मदिन समारोह में आया, अब कोई असहिष्णु नहीं कहेगा – राजनाथ

यह किसी साहित्यकार की पूंजी ही है जो पिछले दो दिनों से प्रेम के रूप में नामवर सिंह पर खर्च हो रही है। एक साहित्यकार के लिए इससे बड़ी बात क्या हो सकती है कि जीवन के 90 वसंत बीत जाने के बाद कोई बच्चों सी पुलक और उत्साह के साथ उसका जन्मदिन मनाए। नामवर सिंह अपनी पीढ़ी के इकलौते बुद्धिजीवी, साहित्यकार, आलोचक और ऐसे व्यक्ति हैं जिनका सभी वर्ग में समान अधिकार है।
अहसास की नजाकत

अहसास की नजाकत

कहते हैं औरत का मन कोई नहीं जान सकता। उसके दिल के जज्बातों को जब तक वह खुद अपनी जुबान से न कहे, अंदाजा लगाना मुश्किल है। इसके उलट, औरत सहजता से इस बात का अंदाजा लगा लेती है कि उसके सामने आए शख्स के दिल में उसको लेकर क्या चल रहा है और पाया भी यही जाता है कि ज्यादातर मामलों में औरत का अनुमान एक दम सही और सटीक होता है।
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