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कला-संस्कृति

गुलाम अली के साथ खड़ा है बॉलीवुड

गुलाम अली के साथ खड़ा है बॉलीवुड

शिवसेना के विरोध के बाद मुंबई में पाकिस्तानी गजल गायक गुलाम के कार्यक्रम को रद्द किए जाने के बाद कई फिल्मी हस्तियों ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। इनमें जानी-मानी अभिनेत्री शबाना आजमी, संगीतकार विशाल डडलानी और शेखर रावजियानी हैं। सभी ने इस कदम की निंदा की है।
कोलकाता में देखिए दुर्लभ डाक टिकटें

कोलकाता में देखिए दुर्लभ डाक टिकटें

राज्य स्तरीय डाक टिकट संग्रह प्रदर्शनी की मेजबानी कर रहे कोलकाता में पहली बार सन 1854 में जारी डाक टिकट सहित कुछ दुर्लभ डाक टिकटों को दिखाया जाएगा। यह प्रदर्शनी नौ अक्टूबर से शुरू होगी।
अब अशोक वाजपेयी ने लौटाया साहित्य अकादमी पुरस्कार

अब अशोक वाजपेयी ने लौटाया साहित्य अकादमी पुरस्कार

देश में लगातार बढ़ रही सांप्रदायिक घटनाओं के विरोध में प्रसिद्ध लेखिका नयनतारा सहगल के बाद हिंदी के जाने-माने साहित्‍यकार अशोक वाजपेयी ने भी साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने की घोषणा की है। इससे पहले उदय प्रकाश भी कन्‍नड़ विद्वान एमएम कलबुर्गी की हत्‍या के विरोध में यह पुरस्‍कार लौटा चुके हैं।
अनुपस्थित है किसान

अनुपस्थित है किसान

एक कहानी एवं कविता संकलन के अलावा आलोचनात्मक निबंध भी प्रकाशित। हिंदी के साथ अंगिका बोली में भी कविता संग्रह। भागलपुर विश्वविद्यालय से रीडर पद से सेवानिवृत्त।
सार्थक व्यंग्य की प्रतिष्ठा

सार्थक व्यंग्य की प्रतिष्ठा

अखबारों में बहुत छपते रहने के बावजूद हिंदी व्यंग्य की गुणवत्ता पर बहस होती रहती है। इस संदर्भ में मालिश महापुराण को पढ़ना सुखद अनुभव है।
अंतहीन छटपटाहटों का कवि

अंतहीन छटपटाहटों का कवि

अनिल कार्की विकल, विकट और अंतहीन छटपटाहटों का कवि है। ये मनुष्यि से आगे एक विचारवान मनुष्या होने की छटपटाहटें हैं, जो उसे समय में आगे-पीछे ले जाती रहती हैं। अनिल के पास विचार है और उसे वह दिमाग के किसी कोने में पस्त नहीं पड़े रहने देता।
तान और तरानों में ‘संतोष’ का ‘आनंद’

तान और तरानों में ‘संतोष’ का ‘आनंद’

कभी संजीदगी, कभी खिलखिलाहट और कभी आंखों से बहते हुए आंसू। कलाकारों की बांसुरी और उनकी आवाज से अपने नगमों को सुनकर नामचीन गीतकार संतोष आनंद के चेहरे पर कई भाव आ और जा रहे थे। पूरी महफिल उन्हें खुश होते देखकर खुश होती थी और उन्हें गमगीन देखकर रो पडती, लेकिन सबको खुशी इस बात की थी कि ठीक एक साल पहले अपने बेटे और बहू की असामयिक मौत के गम को पीछे छोड़ते हुए वह अपनी जिंदगी में आगे की ओर बढ़े रहे हैं।
गंगा-जमुनी तहजीब बयां करते महरौली के पत्‍थर

गंगा-जमुनी तहजीब बयां करते महरौली के पत्‍थर

एक गिरजाघर है जो मंदिर सा दिखता है... और मस्जिद सा भी। एक त्यौहार है जो मुगलों के दौर से चला आ रहा है... जी हां , महरौली का हर पत्थर कुछ बोलता है और हिंदुस्तान की नायाब गंगा-जमुनी तहजीब के तराने सुनाता है।
कहानी: पाई टु पाई ऑनेस्ट

कहानी: पाई टु पाई ऑनेस्ट

सन 1963 में पहली कहानी ‘कहानी’ नाम की पत्रिका में छपी। पिछले पांच दशकों में हिंदी की तमाम छोटी-बड़ी पत्रिकाओं में नियमित प्रकाशन। कविता संग्रह, सिर्फ सोलह सफे, पठार को सुनो, अतिपूर्वा, इंधन चुनते हुए, सीढ़ियों पर धूप, आग के आसपास, बीस सुरों की सदी। कहानी संग्रह, कोरस वाली गली, नायाब नर्सरी। इसके अलावा भी कई अन्य क्षेत्रों में लेखन और संपादन। झारखंड पर केंद्रित कई किताबें। झारखंड के जाने-माने लेखकों में शुमार।
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